जातीय भाषाओं को मदारिन से बदल रहा चीन
Jayadeva Ranade

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) को लगभग विघटित कर देने के अमेरिका और पश्चिमी देशों द्वारा किये जाने वाले प्रयासों के मूल में विशेष कर पूर्व सोवियत संघ तथा कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ सोवियत संघ (सीपीएसयू) के विघटन की याद अभी तक स्पष्टता से उत्कीर्णित है, के बीच चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपनी एकाधिकारवादी ताकत को बनाये रखने के लिए सीसीपी को मजबूत करने पर अपना सारा ध्यान लगा दिया है। लंबे समय से शी की अभिरुचि यूनाइटेड फ्रंट तथा जातीय अल्पसंख्यकों के मसले पर काम करने की रही है। उन्होंने 2017 में यूनाइटेड फ्रंट वर्क (यूएफडब्ल्यू) पर ताकतवर सेंट्रल लीडिंग स्माल ग्रुप के प्रमुख के रूप में अपना दायित्व संभाला था, जिसका काम चीन के जातीय अल्पसंख्यकों के लिए नीतियां बनाने तथा उनका क्रियान्वयन करना है। तभी से जातीय अल्पसंख्यकों से संबंधित यूनाइटेड फ्रंट की गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिल रही हैं।

यूनाइटेड फ्रंट ने लोगों की भाषा की उनकी संस्कृति, परम्पराएं और इतिहास की एक मुख्य धरोहर के रूप में पहचान करते हुए, जातीय क्षेत्रों के स्कूलों में पढ़ाई जा रही जातीय भाषाओं को पुतगहुआ (मदारिन) के साथ बदलने पर केंद्रित कर दिया है। यह काम उसकी तमाम नीतियों में एक है। इस कारक को खासकर चीन-अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध एवं उनके द्विपक्षीय रिश्तों में तेजी से आ रही गिरावट की घटनाओं के बाद, चीनी नेताओं के बीच प्रमुखता से रेखांकित किया जाएगा। इसलिए कि अमेरिका तथा पश्चिमी देश चीन के सीमावर्ती प्रांतों में रहने वाले अल्पसंख्यक जातीय समूहों के बीच उनके असंतोष को हवा देने की कोशिश करेंगे। यह बिंदु एक संकेतक है क्योंकि पेइचिंग को इसे नेपाल के साथ भुगतना पड़ रहा है।

एक संकेत है कि जातीय अल्पसंख्यकों के समावेशन को बढ़ावा देने के लिए कड़ी नीतियों पर अमल किया जाएगा। यह जातीय अल्पसंख्यक मामलों के लिए उत्तरदायी निकाय के कार्यक्षेत्र में आया हालिया बदलाव है। हान कैडर के 66 वर्षीय चेन शिओजियांग को 14 दिसम्बर, 2021 को नेशनल एथनिक अफेयर्स कमीशन (राष्ट्रीय जातीय मामलों के आयोग) का प्रमुख नियुक्त किया गया था। इस नियुक्ति में, 1954 से चली आ रही इस परम्परा को तोड़ दिया गया, जिसके तहत चीन के 56 जातीय अल्पसंख्यकों में से ही किसी को आयोग का प्रमुख चुने का प्रावधान किया गया था। यह अहम बदलाव उस मौके पर किया गया है, जब नेशनल एथनिक मामलों के आयोग को सीधे पार्टी के दखल में लाया जा रहा है। इसके साथ, 2018 में सीसीपी सेंट्रल कमेटी के यूनाइटेड फ्रंट वर्क डिपार्टमेंट (यूएफडब्ल्यूडी) के मातहत लाया जा रहा है। अभी तक यह चीन की स्टेट कॉउंसिल के अंतर्गत था।

जातीय भाषाओं को मदारिन के साथ स्थानांतरित करने के लिए सीसीपी शुरू से व्यवस्थित प्रयास करता रहा है। इसने अल्पसंख्यकों की आबादी वाले इलाकों औऱ क्षेत्रों के स्कूलों में जातीय भाषाओं में बच्चों को दी जा रही शिक्षा की जगह मदारिन को शामिल करने की मांग की है। जातीय अल्पसंख्यकों को हान मुख्यधारा में समावेशन के जरिये स्कूलों-कॉलेजों में पढ़ाने के लिए युवा छात्रों को चयन किया जाएगा। कई युवा छात्र दशकों से इन स्कूलों और कॉलेजों में रह रहे हैं, जिसको हाल में ही“शी जिनपिंग के नये युग में चीनी विशेषताओं के साथ समाजवाद पर विचार” के साथ लाया गया है। हालांकि तिब्बत में और शिंजियांग स्वायत्त क्षेत्रों में किये जा रहे इन प्रयासों में एक मात्रात्मक अंतर है जबकि इस नीति को पिछले वर्ष से मंगोलिया स्वायत्त क्षेत्र में भी लागू किया जा रहा है।

उदाहरण के लिए 1984 में सीसीपी ने यह निर्णय किया कि तिब्बती छात्रों के लिए चीनी प्रांतों और नगरों में तथाकथित ‘ऐड तिब्बत’ कार्यक्रम के अंतर्गत स्कूल खोले जाएं। इसके बाद के वर्ष में कम से कम 16 चीनी प्रांतों इयानजिन, लिओनिंग, शंघाई, जिआंगसु, युन्नान आदि में सालाना 1300 से अधिक छात्रों का नामांकन किया जाने लगा, जो तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) से अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी कर चुके थे। रेडियो फ्री एशिया (आरएफए) ने चीन सरकार की वेबसाइट्स और तिब्बत डेली में प्रकाशित विवरणों के आधार पर खबर दी कि जनवरी 2019 तक 141,900 तिब्बती छात्रों को इन स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में नाम दर्ज किया जा चुका था। तिब्बती छात्रों को चीन के 20 शहरों में स्थापित कुल 75 जूनियर/ सीनियर हाई स्कूलों नामांकन कराया जा चुका था; 20 शहरों के 29 स्कूलों में सेकेंडरी की स्वैच्छिक कक्षाओं में नामांकन किया गया था, और 196 कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों में छात्रों के नाम दर्ज किए गए थे। 2020 में टीएआर के 4472 छात्र कॉलेजों में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा दी थी। तिब्बतियों के यह विशेष स्कूल सीसीपी के अन्य प्रयासों के अनुपूरक थे, जो तिब्बतियों को हान राष्ट्रीय मुख्यधारा में समावेशन और तिब्बतियों की पीढ़ियों को चीनियों (हान) की भाषा, संस्कृति और चीनी विशेषताओं के साथ समाजवाद के प्रति अधिक से अधिक सहज बनाने के लिए खोले गए हैं। चीनी अधिकारी इस शिक्षा प्रणाली को यह कह कर उचित ठहराते हैं कि इसकी मंशा तिब्बत में आर्थिक और सामाजिक विकास मुहैया कराना और तिब्बत की दीर्घकालीन स्थिरता के जरिए उसे लाभ पहुंचाना है।

अब तिब्बती स्कूलों से तिब्बती भाषा को मदारिन से धीरे-धीरे विस्थापित करने के प्रयास शुरू किए गए हैं। तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के बाहर तिब्बतन काउंटिंज के साथ इसकी शुरुआत की गई है। टीएआर के बाहर 25 फीसद से अधिक स्कूलों को नई शिक्षा पद्धति से बदल दिया गया है, जहां छात्रों को उनके सभी विषय की पढ़ाई पुतगहुआ माध्यम से कराई जाती है,जबकि तिब्बती भाषा केवल भाषा की कक्षा में ही पढ़ाई जाती है। केवल नगाबा में रेबकोंग काउंटी और गोलोक और गंजी डेज़ोंग में कुछ स्कूलों में अभी भी पुरानी शिक्षा व्यवस्था ही लागू है, जो अपवाद हैं। टीएआर के बाहर के तिब्बती क्षेत्रों में प्राथमिक और सेकेंडरी स्कूलों, दोनों में, नई पद्धति लागू कर दी गई है। पोलित ब्यूरो स्थाई समिति के सदस्य और चीनी पीपुल्स पॉलिटिकल कन्सल्टटिव कान्फ्रेंस (सीपीपीसीसी) के अध्यक्ष वांग यांग ने 2020 के 14-15 सितम्बर को किंघाई प्रोविंस में गोलोक तिब्बती प्रशासक प्रांत का दौरा किया था, जिसका मकसद इस प्रक्रिया को गति देना था। धीरे-धीरे इस नीति का विस्तार टीएआर के दायरे में और इसके समूचे भाग में करना है।

सक्रिय रूप से नई पद्धति को टीएआर में लागू करने की शुरुआत 2015 में की गई। अब तक केवल लहासा ने इस नई पद्धति को पूरी तरह से लागू किया है। न्यिंग्ट्री (निंगची) के कुछ प्राथमिक स्कूलों ने नई शिक्षा पद्धति को लागू करना प्रारंभ कर दिया है। टीएआर के सभी प्रशासक प्रांत के सभी स्कूल हर वर्ष मदारिन को बढ़ावा देने वाले सप्ताह का आयोजन करते ही हैं।
अगस्त 2020 में, आंतरिक मंगोलियन सरकार ने प्राइमरी और सेकेंडरी स्कूलों को यह स्पष्ट निर्देश दिया था कि वे स्कूलों में निर्देश की भाषा के रूप में मदारिन का उपयोग करें न कि मंगोलियन का। अधिकारियों ने एकीकृत चीनी भाषा में शिक्षण की एक कार्य योजना को लागू किया था। तत्कालीन शिक्षा विभाग के निदेशक होउ युआन ने दावा किया था कि स्कूली “पाठ्य पुस्तकें कम्युनिस्ट पार्टी और देश की इच्छाशक्ति को प्रतिबिंबित करेंगी” और उन्होंने बताया था कि एकीकृत पाठ्य पुस्तकों के उपयोग किये जाने का सीसीपीसीसी का निर्देश “बड़ा निर्णय” है। चीन की इस नीति का मंगोलियन के बीच व्यापक विरोध हुआ था। 300,000 से अधिक छात्रों ने इसके विरोध में आंतरिक मंगोल की राजधानी होहोटिन में प्रदर्शन किया जिसमें सरकारी कर्मचारियों ने भी भाग लिया। ये लोग इस बात को लेकर काफी चिंतित थे कि विश्व की एक अनोखी भाषा मंगोलियन और उसकी संस्कृति चीन की इस नीतियों की परिणाम स्वरूप विलीन हो जाएगी।

यद्यपि लोकप्रिय असंतोष, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने मंगोल लोगों के समावेशन को और आगे बढ़ाने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। शायद इसलिए कि मंगोलियन लोगों की कुल तादाद मात्र 5 मिलियन है और ये स्वायत्त क्षेत्र में अल्पसंख्यक हैँ। आंतरिक मंगोलिया स्वायत्त क्षेत्र के शिक्षा विभाग ने 8 जनवरी 2021 को पब्लिशिंग हाउस के लिए जारी नोटिस में नेशनल टेक्स्ट बुक कमेटी के निर्देशों का पालन करने के लिए कहा है। इसने एक “विचाराधारात्मक विशेष अनुसंधान” और ‘आंतरिक मंगोलियन इतिहास और संस्कृति’, ‘मंगोलियन इतिहास’, ‘हुलुनबीर इतिहास और संस्कृति’, ‘हेतो इतिहास और संस्कृति’, और ‘कोरकिन इतिहास और संस्कृति’(ट्राइल) जैसी पाठ्य पुस्तकों की जांच की है। इस नोटिस में घोषणा की गई है कि पाठ्य पुस्तकें अपनी “साझा जड़ों के प्रति जागरूकता” को पर्याप्त रूप में उजागर नहीं करतीं, इसके बजाय व्यक्तिगत “जातीय पहचान” और “जातीय जागरूकता” पर जोर देती हैं। आंतरिक मंगोलिया का शिक्षा विभाग ने इसके बाद ‘आंतरिक मंगोलियन इतिहास और संस्कृति’, ‘मंगोलियन इतिहास’, ‘हुलुनबीर इतिहास और संस्कृति’, ‘हेतो इतिहास और संस्कृति’, और ‘कोरकिन इतिहास और संस्कृति’ (ट्राइल) जैसी पाठ्यपुस्तकों को 2021 के वसंत से प्रतिबंधित करने का निर्णय किया। यह कहा गया है कि ‘हुलुनबीर इतिहास और संस्कृति’ और ‘कोरकिन इतिहास और संस्कृति’ (ट्राइल)’की पाठ्य पुस्तकें 2021 के पतझड़ के सेमेस्टर में नहीं पढ़ाई जाएंगी।

8 फरवरी 2021 को,‘आंतरिक मंगोलिया स्वायत्त क्षेत्र में राष्ट्रीय एकता और प्रगति को बढ़ावा देने के नियमन’, जिसे आंतरिक मंगोलिया स्वायत्त क्षेत्र पीपुल्स कांग्रेस ने 30 जनवरी 2021 को स्वीकृत किया था, उसका प्रकाशन किया गया था। 56 अनुच्छेद में “परंपरागत चीनी संस्कृति” और रीति-रिवाजों को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया था और दृढ़ता के साथ कहा गया था कि हान और जातीय अल्पसंख्यक एक ‘साझा नियति के साथ एक साझा समुदाय’ का हिस्सा है।

शिक्षा विभाग ने यह भी आदेश दिया कि “धार्मिक समूह,धार्मिक गतिविधियों के लिए तय जगह और धार्मिक स्कूल पार्टीकी धार्मिक कार्यों पर बनाई गई बुनियादी नीति को पूरी तरह से लागू करेंगे और चीन में धर्म के सिनिसीजेशन के निर्देशों का पूरी तरह से पालन करेंगे।” जातीय एकता को सक्रिय रुप से बढ़ावा देने के अलावा, वे “चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व,समाजवादी पद्धति का समर्थन करेंगे और मुख्यधारा की राष्ट्रीय एकता, मातृभूमि का एकीकरण, धार्मिक सद्भाव और सामाजिक स्थिरता को बढ़ावा देंगे।” अनुच्छेद 54 में अन्य भी प्रतिबंधित प्रावधान रखे गए हैं, जो बताते हैं कि “चीनी जातीय समुदाय का अस्वीकार, राष्ट्रीय रीति-रिवाजों और संस्कारों को कलंकित करना, राष्ट्रीय अस्मिता को क्षति पहुंचाना तथा राष्ट्रीयता को नुकसान पहुंचाना निषिद्ध है।” अनुच्छेद 55 दृढ़तापूर्वक कहता है कि “कोई भी व्यक्ति अथवा संगठन ऐसा कोई भाषण नहीं देगा, जो राष्ट्रीय एकता के लिए हितकारी नहीं है”; और अनुच्छेद 56 घुसपैठ, तोड़फोड़, विध्वंस, हिंसक आतंकवादी गतिविधियों, जातीय अलगाववादी गतिविधियां, और धार्मिक उग्रवादी गतिविधियां इत्यादि, जो राष्ट्रीय एकता जातीय एकता और सामाजिक स्थिरता को बाधित करता है, इन सब के विरुद्ध चेतावनी देता है।

यूनाइटेड फ्रंट वर्क डिपार्टमेंट (यूएफडब्ल्यूडी) के नए नियमों के प्रकाशन के बाद जनवरी 2021 में सीपीपीसीसी यूएफडब्लूडी ने 18 जनवरी को पेइचिंग में एक राष्ट्रीय बैठक की थी,जिसमें पूरे देश के यूएफडब्ल्यूडी के सभी निदेशकों ने हिस्सा लिया था। इस बैठक को संबोधित करते हुए पोलित ब्यूरो स्थाई समिति के सदस्य तथा सीपीपीसीसी के चेयरमैन वांग यंग ने जातीय अल्पसंख्यकों और धार्मिक मामलों पर फोकस करते हुए समावेशन की प्रक्रिया को तेजी से लागू करने पर जोर दिया था। वांग ने कहा,“जिसे हम लामबंद कर सकते हैं, उन सभी सक्रिय अवयवों को लामबंद करना है।”

नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) की कानूनी मामलों की समिति के निदेशक शेन चुंगयो ने एनपीसी स्थाई समिति की बैठक में 20 जनवरी 2021 को घोषणा किया कि “अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में” स्थापित स्कूलों को अपनी भाषा में शिक्षा देने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने घोषित किया कि ऐसी शिक्षा “असंवैधानिक” होगी। शेन ने एक रिपोर्ट पेश की, जिसमें उन्होंने स्वायत्त प्रांतों और क्षेत्रों में स्थानीय नियम-कायदों के ऊपर राष्ट्रीय नियम कानूनों को वरीयता दी। उनका आकलन था कि सभी स्थानीय नियमन “देश के प्रमुख सुधार-निर्देशों” और “उच्च स्तरीय कानून के प्रावधानों” का उल्लंघन करते हैं। उन्होंने कहा कि कुछ स्थानीय नियमन, जो स्कूलों को जातीय भाषा में पढ़ाये जाने की अनुमति देते हैं,वह चीनी संविधान के मुताबिक मदारिन को देश में बढ़ावा देने के नजरिये से असंगत है।

यूएफडब्ल्यूडी की नीतियों के साथ, जिसमें ‘सिनिसिजेशन’ शामिल है, विशेषकर तिब्बती बौद्ध धर्म, और बौद्ध भिक्षुओं एवं तिब्बती बौद्ध मठों की ननों की सतत ‘शिक्षा’ देने की बात समाहित है, को देखते हुए यह स्पष्ट है कि जातीय अल्पसंख्यकों को हान राष्ट्रीय मुख्यधारा में मिलाने के लिए सीसीपी द्वारा किये जा रहे प्रयासों के प्रभाव का विस्तार हुआ है।

Translated by Dr Vijay Kumar Sharma (Original Article in English)


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