बांग्लादेश के लिए 16 दिसम्बर 1971 एक ऐतिहासिक तवारीख है। इस दिन को पाकिस्तानी सेना की पराजय और इसके बाद एक स्वतंत्र बांग्लादेश के रूप में उभरने के उपलक्ष्य में विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह 2021 वर्ष विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह उस ऐतिहासिक घटना का स्वर्ण जयंती वर्ष है। 1971 का बांग्लादेश का मुक्ति संग्राम उन पुरुषों और महिलाओं के दृढ़ संकल्प और बलिदान में अंतर्निहित उच्च भावनाओं को जगाता है, जिन्होंने पश्चिमी पाकिस्तान द्वारा अपने ही पूर्वी क्षेत्र के लोगों पर किए गए भारी दमन और संहार का सामना किया था।
पश्चिमी पाकिस्तान की तरफ से इसके पूर्वी हिस्से के समुदायों में थोपी सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक से लेकर कई अनुचित नीतियों और प्रथाएं थोप दी गई थीं, जिनसे यहां के बाशिंदों में गहरी नाराजगी पैदा कर दी थी। इसी कड़ी में 1970 के चुनाव परिणामों को मानने से पाकिस्तानी हुक्मरानों का इनकार करना वह आखिरी वजह थी, जिसके बाद पूर्वी पाकिस्तान के अवाम में उबाल आ गया। उस साल के संसदीय चुनाव में अवामी लीग (बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के नेतृत्व वाली पार्टी) को स्पष्ट बहुमत मिला था। लेकिन उन्हें सरकार बनाने में अड़चनें डाली गईं। फिर 3 मार्च 1971 को होने वाला विधानसभा का सत्र स्थगित कर दिया गया। दरअसल, अलगाव की राह तभी शुरू हुई। इसके बाद तो गतिरोधों की एक श्रृंखला बनती गई और उन्हें हल करने के लिए कोई ठोस राजनीतिक कदम नहीं उठाए गए। नतीजतन एक के बाद एक घटनाओं का सिलसिला बनता गया, जिसने अंततः बांग्लादेश को पाकिस्तान के नक्शे पर एक स्वतंत्र देश के रूप में उभरने का अवसर दे दिया। गतिरोध दूर करने की बजाय, पाकिस्तान की सरकार ने 25 मार्च 1971 को सैन्य कार्रवाई शुरू कर दी। इसके तहत पूर्वी पाकिस्तान की बंगाली आबादी के दमन के लिए एक क्रूर और संहारक सैन्य अभियान चलाया गया, जिसमें हजारों लोग मारे गए और लाखों लोगों को भाग कर भारत में शरण लेने पर मजबूर होना पड़ा।
एक ऐसा देश जो युद्ध से आक्रांत था, प्राकृतिक आपदाओं और राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा था, वह पांच दशक बाद एक मजबूत और प्रतिरोधी क्षमता से भरपूर राष्ट्र के रूप में उभरा है, जिसकी परिकल्पना 1970 के दशक के शुरुआती दशकों में की गई थी। अर्थव्यवस्था के नजरिए से बांग्लादेश की जांच-परख करें तो इसकी उपलब्धियां जबरदस्त रही हैं और इसे 'असंभव उपलब्धियों की भूमि' के रूप में वर्णित किया गया है। समय बीतने के साथ बांग्लादेश ने अपने मानव विकास संकेतकों में महत्त्वपूर्ण सुधार दर्ज किया है और कुछ मामलों में अपने कई पड़ोसियों की तुलना में बेहतर स्कोर किया है और अपनी आबादी को भीषण गरीबी के दलदल से बाहर निकाल लाने के लिए विश्व बैंक ने भी उसकी खूब सराहना की है। मुक्ति संग्राम की समाप्ति के बाद से बांग्लादेश ने एक लंबा सफर तय किया है, तब इस नवजात देश की संस्थाएं अस्त-व्यस्त थीं, इसकी शासन प्रणाली तनावपूर्ण थी, और इसे भारी संसाधनों की किल्लत का सामना करना पड़ा था। इन उपलब्धियों में सबसे महत्त्वपूर्ण है,बांग्लादेश का 'बास्केट इकोनॉमी' से मध्य-आय वाले देश में कायाकल्प करना। यह एक उल्लेखनीय बदलाव है।
एक मध्य आय वाले देश में बांग्लादेश का शुमार होना उसके उल्लेखनीय आर्थिक विकास की सफलता की कहानी है। वर्षों के परिश्रम से और सरकार में क्रमिक परिवर्तनों के माध्यम से, इसने विकास के साथ-साथ सामाजिक कल्याण के मानकों में भी काफी प्रगति करने में कामयाबी हासिल की है। यह अपने कई पड़ोसियों की तुलना में खुद को बेहतर बनाने में भी सक्षम रहा है।
प्रमुख मैक्रोइकॉनॉमिक संकेतकों द्वारा प्रदर्शित बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था का उल्लेखनीय लचीलापन अब तक इस दृष्टिकोण को मजबूत समर्थन देता है कि बांग्लादेश 2021 के अंत तक 7 प्रतिशत के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि के लक्ष्य के साथ 310.00 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है। बांग्लादेश में प्रति व्यक्ति आय 1750 डॉलर बताई गई है, और उसकी गरीबी रेखा से नीचे की आबादी 1990-91 में 56 फीसदी से घटकर 2018 में 21.8 फीसदी हो गई है। और आइएमएफ के अनुसार 2021 में बांग्लादेश का प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2,138.794 डॉलर होगा। इसकी प्रति व्यक्ति आय का 2008 के बाद तिगुनी हो जाना, कोई मामूली उपलब्धि नहीं है। उसकी मुद्रा की दर स्थिर है और पिछले 10 वर्षों में इसके ऊर्जा क्षेत्र में तेजी से विकास के साथ बुनियादी ढांचे के विकास में भी तेजी देखी गई है। यह एक अविकसित ऊर्जा एवं बिजली क्षेत्र से एक अधिक मजबूत और विकसित क्षेत्र में रूपांतरण के चौराहे पर खड़ा हो गया है।
बांग्लादेश की आगे की प्रगति जलवायु परिवर्तन के कहर और समुद्र के बढ़ते जलस्तर के संदर्भ में अधिक उल्लेखनीय प्रतीत होती है,जिससे वह समय-समय पर पीड़ित भी रहा है। ऊर्जा और परिवहन क्षेत्र में तेजी से सुधार ने इसके रेडीमेड वस्त्र क्षेत्र में ऐसी ही वृद्धि की है कि इसने पिछले वर्ष में $ 38 बिलियन से अधिक की कमाई के जरिए सकल घरेलू उत्पाद में 11 प्रतिशत की अपनी भागीदारी बढ़ा ली है। रेडिमेड कपड़ों के क्षेत्र में तो यह विश्व स्तर पर-चीन और वियतनाम के बाद-तीसरा सबसे बड़ा देश बन गया है।
बांग्लादेश आज जो कुछ हासिल करने में सक्षम रहा है, वह सब पर्यावरणीय चुनौतियों और जलवायु परिवर्तन के मुद्दे का सामना करते हुए ही किया है, जिसमें समुद्र के बढ़ते जल स्तर और इसके नतीजतन रहने योग्य क्षेत्रों में आया सिकुड़न भी शामिल है। बांग्लादेश में 80 फीसदी भूमि की समुद्र तल से 12 मीटर से कम ऊंचाई पर स्थित है। एक अनुमान के अनुसार, जनसंख्या वृद्धि और ग्लोबल वार्मिंग के वर्तमान स्तर पर, 2050 तक बांग्लादेश में 'लगभग 120,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में रहने के लिए 300 मिलियन लोग होंगे' जिससे देश का जनसंख्या घनत्व 2,500 प्रति वर्ग किलोमीटर से अधिक हो जाएगा। कुछ अनुमानों के अनुसार, बांग्लादेश में नदी के किनारे के कटाव से सालाना 100,000 से अधिक लोग विस्थापित हो जाते हैं। इसके अलावा, देश समय-समय पर आने वाली विकराल बाढ़ों का सामना करता है और इनके परिणामस्वरूप जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव से कई चुनौतियों का भी। इन चुनौतियों में, लोगों के पुनर्वास और उनका आंतरिक प्रवासन, बेरोजगारी, गरीबी और इस समस्या से उत्पन्न कई अन्य नकारात्मक मुद्दे शामिल हैं। आसन्न खतरे को देखते हुए, सरकार ने बांग्लादेश जलवायु परिवर्तन रणनीति और कार्य योजना (बीसीसीएसएपी) बनाई है, जिसमें छह स्तंभों और चालीस से अधिक कार्य-कलापों की पहचान की गई है। इसके अलावा, बांग्लादेश क्लाइमेट चेंज ट्रस्ट फंड को जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से निपटने और उनका मुकाबला करने के उपायों को धन देने के लिए बनाया गया है। इन्हें राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और स्थानीय नियोजन प्रक्रियाओं में शामिल किया गया है ताकि व्यापक परिणाम हासिल किया जा सके।
बांग्लादेश सरकार अत्यधिक जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के प्रति जनता के बीच जागरूकता फैलाने और उसके बचाव की तैयारियां कर रही है ताकि प्रतिकूलताओं के दुष्प्रभावों को कम किया जा सके। उसकी तरफ से अपनाए गए उपायों में पूर्वानुमान और पूर्व चेतावनी प्रणाली, भूमि उपयोग योजना और बेहतर राहत और पुनर्वास तंत्र की स्थापना शामिल हैं। हाल के दिनों में, बंगाल की खाड़ी के तट पर हरित पट्टी बनाने और चक्रवात और ज्वार-भाटा जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दुष्प्रभावों को दूर करने या कम करने के लिए उपाय के तहत स्वयंसेवकों को भी नियुक्त किया जा रहा है। बांग्लादेश सरकार ने 2041 तक अक्षय स्रोतों से अपनी ऊर्जा की मांग का 40 फीसदी सुनिश्चित करने और एक जलवायु आपातकालीन संधि और राष्ट्रीय अनुकूलन योजना स्थापित करने की अपनी प्रतिबद्धता में COP26 में 'मुजीब जलवायु समृद्धि योजना' पेश की। [1]
बांग्लादेश की राजनीतिक उपलब्धियां महत्त्वपूर्ण हैं और सारवान भी। आज तो यह एक बहुदलीय लोकतंत्र के रूप में वह प्रतिष्ठित हो चुका है पर शुरुआती दिनों उसे कई स्तरों पर अराजकता का सामना करना पड़ा था। पहले बंगबंधु मुजीबुर रहमान की हत्या हुई, जिसके बाद तख्तापलट की श्रृंखला ही शुरू हो गई और फिर जवाबी तख्तापलट से देश में अधिनायकवादी/फौजी हुकूमत का एक लंबा दौर चल पड़ा था। इसमें दो साल का अंतराल भी शामिल था। इस चरण को छोड़कर, समय-समय पर हुए चुनाव, सत्ता परिवर्तनों और इसके बाद बनने वाली सरकारों के कार्यकालों के सफलतापूर्वक पूरा होने से बांग्लादेश में लोकतांत्रिक संसदीय प्रणाली को मजबूती मिली है।
इसका संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ, जापान और कनाडा सहित विकसित देशों के साथ कारोबार की भागीदारी से लेकर विकासात्मक सहयोग तक का विस्तार हो गया है। मुस्लिम उम्माह के साथ एकजुटता और इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआइसी) के आर्थिक सहयोग के ढांचे में, बांग्लादेश ने मध्य-पूर्व के देशों के साथ एक भाईचारे का संबंध बनाए रखा है। बांग्लादेश की विदेश नीति की पहुंच ने पड़ोसियों और विदेशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को सफलतापूर्वक विकसित किया है और उसे बरकरार रखा है।
इन कई उपलब्धियों के अलावा, बांग्लादेश का दावा सबसे लंबे समय से कायम महिला नेतृत्व का भी है। शेख हसीना लगातार तीन कार्यकालों से बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रही हैं, यह एक मुस्लिम बहुसंख्यक राष्ट्र के लिए कोई छोटी उपलब्धि नहीं है, जिसकी स्थापना बहुत कठिन परिस्थितियों में हुई थी, लेकिन वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अपने लिए एक सम्मानजनक जगह बनाने में सक्षम रहा है। बांग्लादेश कई बाधाओं के बावजूद आगे बढ़ा है और वह लगातार अपनी बढ़ती मध्यम-आय वाली आबादी को पर्याप्त विदेशी प्रत्यक्ष निवेश और विदेशी मनीऑर्डर को आकर्षित करने में कामयाब रहा है। आज उसके पास जश्न मनाने के लिए बहुत कुछ है-प्रारंभिक बाधाओं पर सफलतापूर्वक काबू पाने, आर्थिक उपलब्धियां हासिल करने, मृत्यु दर को घटाने, जीवन प्रत्याशा को बढ़ाने और टीकाकरण जैसे सामाजिक संकेतकों में सुधार; सभी के सभी उल्लेखनीय रहे हैं। उसकी आर्थिक प्रगति ने एक उभरता हुआ मध्य वर्ग बनाया है। बांग्लादेश अपने स्थानीय लाभ का उपयोग करने और क्षेत्रीय और उप-क्षेत्रीय गति का फायदा उठाने के लिए तैयार है। हालांकि, यह अपने शासन के कुछ मुख्य मुद्दों का प्रबंधन कैसे करता है, यह उसकी आगे की यात्रा के लिहाज से अहम होगा।
[1]अविक भौमिक,COP26: हाउ बांग्लादेश कैन सबस्टांसिएट इट्स क्लेम्स फॉर क्लाइमेट एक्शन, ढाका ट्रिब्यून, 9 नवम्बर 2021 at https://www.dhakatribune.com/opinion/op-ed/2021/11/09/op-ed-cop26-how-bangladesh-can-substantiate-its-claims-for-climate-action [3]
Links:
[1] https://www.vifindia.org/article/hindi/2021/december/29/baanglaadeshah-pachaas-varshon-kee-yaatra
[2] https://www.vifindia.org/author/sreeradha-datta
[3] https://www.dhakatribune.com/opinion/op-ed/2021/11/09/op-ed-cop26-how-bangladesh-can-substantiate-its-claims-for-climate-action
[4] https://www.vifindia.org/2021/december/14/bangladesh-journey-of-fifty-years
[5] https://thefinancialexpress.com.bd/uploads/1616689885.jpg
[6] http://www.facebook.com/sharer.php?title=बांग्लादेशः पचास वर्षों की यात्रा &desc=&images=https://www.vifindia.org/sites/default/files/1616689885_0.jpg&u=https://www.vifindia.org/article/hindi/2021/december/29/baanglaadeshah-pachaas-varshon-kee-yaatra
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