चीनियों को चिंतित कर रहा है, साझा समृद्धि का शी जिनपिंग का नया नारा
Jayadeva Ranade

'आम समृद्धि' अगस्त 2021 के बाद से चीन के जनवादी गणराज्य में नया मूलमंत्र बन गया है। यह शब्द लोगों के मन में भय और आशंका से लेकर अलग-अलग तरह की भावनाओं को उकसाता है कि सरकार अंततः बढ़ते गिनी गुणांक को संबोधित कर रही है और निजी उद्यमियों पर लगाम लगा रही है, जो बहु-अरबपति बन गए हैं। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, जिन्होंने 17 अगस्त 2021 को दिए अपने एक भाषण में सामान्य समृद्धि का उल्लेख किया था, तब उनके दिमाग में निश्चित रूप से चीन में लगातार बढ़ रही आय असमानताओं, शहरी-ग्रामीण क्षेत्रों में आय की चौड़ी होती खाई और केवल कुछ मुट्ठी भर लोगों के हाथों में भारी धन के पूंजीभूत होने की बात रही होगी। हालांकि उनकी इस घोषणा का आम चीनी लोगों द्वारा स्वागत किया गया होगा, पर विशेष रूप से चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के कार्यकर्ता उनकी नीति का ब्योरा देखने का इंतजार करेंगे कि क्या राष्ट्रपति की यह उद्घोषणा चीन में एक कठोर और विनाशकारी सांस्कृतिक क्रांति दशक की वापसी की शुरुआत करेगी?

अंतरराष्ट्रीय व्यापार पत्रिका फोर्ब्स ने सितम्बर 2021 के अपने अंक में खुलासा किया कि मुख्य चीन के पास 626 अरब डॉलर की परिसंपत्ति है, जो दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी संख्या है। चीन में, 2020 में देश के एक फीसद लोगों के पास उसकी सकल संपत्ति की 30.6 फीसद संपत्ति थी, जो पिछले 10 साल की तुलना में 10 प्रतिशत की वृद्धि है। आधिकारिक चीनी आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि चीन का गिनी गुणांक (असमानता की शून्य से लेकर 1 फीसदी तक एक मापने की ईकाई) 0.47 फीसद तक पहुंच गया है। यह असमानता आम लोगों के जीवनयापन और शहरी अचल संपत्ति की बढ़ती लागत तथा सप्ताह में छह दिन 9 बजे सुबह से शाम 9 बजे तक की कार्य संस्कृति है, जिसने चीन के स्नातक युवाओं के बीच तांग पिंग, यानी "झूठ बोलने" की सामाजिक घटना को जन्म दिया है। इन युवाओं का कहना है कि उन्होंने बेहतर जीवन की आस छोड़ चुके हैं, क्योंकि ऐसे बेहतर अवसरों के लिए प्रयास करने का कोई मतलब नहीं है,जो अपनी पहुंच से बाहर हैं। हालांकि, कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारी देश के समाज, उसकी श्रम शक्ति और निर्माण-क्षमता पर इसके हानिकारक असर और पहले से ही बोझ से दबे सरकारी खजाने पर पड़ने वाले अतिरिक्त दबाव को लेकर चिंतित हैं।

हालांकि इसे अगले वर्षांत तक होने वाली कम्युनिस्ट पार्टी की 20वीं कांग्रेस से पहले अपनी स्थिति को मजबूत करने के शी जिनपिंग के प्रयासों के एक हिस्से के रूप में घोषित किया गया।पर शी की "साझा समृद्धि" पहल का अन्य लोगों समेत प्रमुख चीनी अर्थशास्त्रियों ने भी विरोध शुरू कर दिया है। पीपुल्स यूनिवर्सिटी के उपाध्यक्ष लियू युआनचुन ने बाजार की उम्मीदों को स्थिर करने की आवश्यकता के बारे में बात की और चेतावनी दी कि नए नियामक उपायों से बाजार की अस्थिरता आर्थिक विकास के अनुकूल नहीं होगी। पेकिंग विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर झांग वेयिंग ने कहा, "साझा समृद्धि" का नारा बाजार में विश्वास के घाटे को इंगित करता है और " बाजार में अधिक से अधिक हस्तक्षेप शुरू करने से, चीन को केवल सामान्य गरीबी की ओर ले जाएगा।" पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना के पूर्व सलाहकार ली दाओकुई को निक्केई एशिया (29 सितम्बर) द्वारा यह कहते हुए उद्धृत किया गया था कि "हमें सामान्य समृद्धि के लिए एक बड़ी छलांग लगाने या विकास को बाधित करने वाली किसी चीज़ के प्रति होशियार रहना चाहिए।"

इस बीच, इस पहल ने सीसीपी के भीतर स्पष्ट रूप से जोरदार बहस छेड़ दी है। इसी के नतीजे का एक उदाहरण राष्ट्रीय संपत्ति कर का प्रस्ताव है,जिस पर 2003 से चर्चा चल रही है। शी जिनपिंग ने "घर रहने के लिए है, अटकलों के लिए नहीं" की अपनी टिप्पणी के साथ इन अटकलों को दूर करने, वस्तुओं की कीमतों को कम करने और मध्यवर्गीय परिवारों के जीवन को आसान बनाने के लिए, इस प्रस्ताव का समर्थन किया। पोलित ब्यूरो की स्थायी समिति के सदस्य और वाइस प्रीमियर हान झेंग को पायलट टैक्स रोलआउट चलाने का काम सौंपा गया था। चीन की एनपीसी स्थायी समिति (एनपीसीएससी) ने 23 अक्टूबर को राज्य परिषद को यह तय करने का अधिकार दिया कि वह कुछ चुने क्षेत्रों में (हालांकि अभी तक उन क्षेत्रों का चयन नहीं का गया है), कम से कम पांच वर्षों के लिए संपत्ति कर लगाने की पायलट परियोजना चलाए। लेकिन इस बारे में नकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने पर वाइस प्रीमियर हान झेंग ने 30 शहरों की पायलट योजनाओं को घटा कर केवल 10 शहर में सीमित कर दिया। हालांकि शी जिनपिंग द्वारा अनुमोदित पहले की योजनाओं में 30 शहरों में इसकी शुरूआत करने की मांग की गई थी।

इस बीच, यह चिंता जताई जा रही है कि 'साझा समृद्धि' की ताजा पहल चीनी सांस्कृतिक क्रांति के दिनों की वापसी की एक प्रस्तावना हो सकती है। इसने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के भीतर कई आशंकाएं पैदा कर दी हैं और इसको लेकर तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। ग्लोबल टाइम्स के राष्ट्रवादी एडिटर-इन-चीफ हू ज़िजिन जैसे शी जिनपिंग के समर्थकों सहित "धुर-वामपंथी" और अन्य लोग 'साझा समृद्धि' पर चर्चा कर रहे हैं। चीन के मुख्य अरबपति निजी उद्यमियों के खिलाफ कार्रवाई से भी इस आशंका को दूर करने में कोई मदद नहीं मिली है।

सेंट्रल चाइना इलेक्ट्रिक पावर न्यूज, जो 2013 में बंद हो गया,उसके पूर्व प्रधान संपादक ली गुआंगमैन ने 28 अगस्त को वीचैट पर एक लेख पोस्ट किया,जिसमें उन्होंने "साझा समृद्धि" की घोषणा की सराहना की। उन्होंने कहा कि चीन में "गहरा परिवर्तन" का दौर चल रहा है और "यह परिवर्तन सारी धूल मिटा देगा।" इस संकेत के साथ कि लेख को सरकारी स्वीकृति मिली थी, इसे सीसीपी के आधिकारिक पीपुल्स डेली सहित अन्य आधिकारिक समाचार पत्रों में तुरंत प्रकाशित किया गया था। ली गुआंगमैन ने 9 अक्टूबर को अपने वीचैट खाते पर एक और लेख पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने फिर कहा कि चीन एक "गहरे परिवर्तन" के दौर से गुजर रहा है। लेकिन इस बार उन्होंने इसमें यह भी जोड़ दिया कि "यह हमारे समाज, विचारों, अवधारणाओं और जीवन को बदल रहा है और इसे कुछ लोगों या निहित स्वार्थ वाले समूह की मर्जी से नहीं रोका जाएगा।" ली गुआंगमैन ने मीडिया में निवेश करने और नियंत्रित करने वाले निजी व्यवसायों के खिलाफ आवाज उठाई और कहा कि राजनीति, व्यवसाय, संस्कृति और मीडिया को प्रभावित कर सकते हैं। उन्होंने अपने इस कथन के समर्थन में दो उदाहरण भी पेश किए। उन्होंने "अनियमित" पूंजीवाद, "पुरुष पॉप सितारों को भगाने" आदि के खिलाफ सख्त नीतियों का आग्रह किया।

हू ज़िजिन ने ली गुआंगमैन को "भ्रम और दहशत" पैदा करने वाला बताते हुए उन्हें इसके लिए सख्त चेतावनी भी दी। पिछले एक महीने में गुआंगमिंग डेली, पीपुल्स डेली और अन्य राष्ट्रीय समाचार पत्रों में "सामान्य समृद्धि" को सही ठहराने वाले शिक्षाविदों के कई लेख प्रकाशित हुए हैं। 19 सितम्बर को पूर्व उपाध्यक्ष और चाइनीज एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज के प्रोफेसर ने काई फेंग ने समझाया कि चीनी राजनीति में "सामान्य समृद्धि" की अवधारणा नई नहीं है और यह सुधार की नीतियों के अनुकूल ही है। उन्होंने कहा, इस अवधारणा का प्रादुर्भाव 1970 के उत्तरार्ध में हुआ था, जब पूर्व चीनी नेता देंग शियाओपिंग ने आर्थिक सुधारों की शुरुआत की थी और फिर, 1992 में पार्टी की 14वीं कांग्रेस में "एक समाजवादी बाजार अर्थव्यवस्था का निर्माण करना" अपना लक्ष्य घोषित किया गया था। राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व में 18वीं एवं 19वीं सीसीपी केंद्रीय समितियों ने सभी प्रमुख पार्टी और सरकार के नीति दस्तावेजों में इस शब्द को शामिल किया था। काई फेंग ने तर्क दिया कि इस बात पर आम सहमति है कि उस सुधार और उद्घाटन से चीनी लोगों को लाभ हुआ था, लेकिन उन्होंने कहा कि बढ़ती समृद्धि के बावजूद आय असमानता व्यापक हो गई थी। उन्होंने बताया कि 2019, में ग्रामीण-शहरी आय अनुपात और गिनी गुणांक क्रमशः 2.325 तथा 0.465 था, जो "शायद ही संतोषजनक" था। उन्होंने कहा कि नेतृत्व द्वारा सही समय पर सामान्य समृद्धि को एक प्रमुख नीतिगत लक्ष्य के रूप में दोहराया गया है। उन्होंने सामान्य समृद्धि के लक्ष्य के लिए तीन कारणों की पहचान की: (i) यह गरीबी को खत्म करने और निम्न-आय वर्ग को मध्य-आय वर्ग में उन्मुख करने के दीर्घकालिक कार्य की एक तार्किक निरंतरता है, जिसमें 2020 तक एक कल्याणकारी समाज का निर्माण करना था और 2049 तक एक आधुनिक समाजवादी देश का निर्माण करना है;(ii) यह आय-असमानता, सामाजिक गतिहीनता और श्रमिकों, युवाओं और कम शिक्षित समूहों की कम मजदूरी के कारण उत्पन्न असंतोष को कम करने के लिए "पाई को बढ़ाने वाली" और "कुशल प्रतिक्रिया" की एक कुंजी है; और (iii) दान एवं सामाजिक जिम्मेदारी के साथ पुनर्वितरण उपकरणों का उपयोग सामाजिक कल्याण और सामाजिक सुरक्षा के स्तर को मजबूत करेगा और सामान्य समृद्धि का एहसास होने पर असमानता कम हो जाएगी।

6 सितम्बर,2021 को शीज़ीयाज़ूआंग, हेबेई प्रांत में चीन अंतरराष्ट्रीय डिजिटल अर्थव्यवस्था प्रदर्शनी आयोजित की गई थी, उसमें वाइस प्रीमियर लियू हे, जो राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सबसे करीबी विश्वासपात्र और प्रमुख आर्थिक सलाहकार में से एक हैं, उन्होंने भी चीन के निजी क्षेत्र को आश्वस्त करने की मांग की थी। उन्होंने कहा,"चीन की निजी अर्थव्यवस्था के विकास को समर्थन देने की नीति अपरिवर्तित बनी हुई है। अब कोई बदलाव नहीं है, और भविष्य में भी कोई बदलाव नहीं होगा।"

शी जिनपिंग ने व्यक्तिगत रूप से लोगों की इन चिंताओं को दूर करने और यह समझाने की कोशिश की कि उनका इरादा देश में "सामान्य गरीबी" लाने का नहीं है। सीसीपी के प्रमुख सैद्धांतिक पाक्षिक किउ शि (15 अक्टूबर को) ने शी जिनपिंग का एक लेख प्रकाशित किया, जिसका शीर्षक था 'समान समृद्धि को मजबूती से बढ़ावा देना', जिसमें सामान्य समृद्धि को लेकर उनके भाषणों में की गई टिप्पणियां शामिल थीं। शी जिनपिंग ने जोर देकर कहा कि गरीबी समाजवाद नहीं है और पार्टी ने कुछ लोगों और कुछ क्षेत्रों को पहले अमीर बनने की अनुमति देने के लिए पारंपरिक संस्थागत बाधाओं को दूर कर दिया है। शी जिनपिंग ने जोर देकर कहा कि 18वीं कांग्रेस के समय से ही "शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रीय विकास तथा आय वितरण के बीच एक बड़ा अंतर" के साथ असंतुलित और अपर्याप्त विकास की गंभीर समस्याएं हैं, शी जिनपिंग ने कहा कि चीन को "ध्रुवीकरण को दृढ़ता से रोकना चाहिए, सामान्य धन को बढ़ावा देना चाहिए और सामाजिक सद्भाव और स्थिरता प्राप्त करनी चाहिए"। उन्होंने घोषित किया "साझा समृद्धि समाजवाद की आवश्यक आवश्यकता है और चीनी शैली के आधुनिकीकरण की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता है" और यह इस सदी के मध्य के लिए लक्ष्य है।

"साझा समृद्धि" पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की टिप्पणी का उद्देश्य अगले साल के अंत में पार्टी की 20वीं कांग्रेस के लिए अपनी स्थिति को मजबूत करना था, पर लगता है कि इसकी बजाए इस मुद्दे ने पार्टी के आंतरिक बहस को तेज कर दिया है। यह चीन के आधिकारिक मीडिया में बहस का मुद्दा बन गया है और शी जिनपिंग और उनकी नीतियों के साथ शिक्षाविदों, अर्थशास्त्रियों और सीसीपी कार्यकर्ताओं के बीच के असंतोष को सतह पर ला दिया है। 2017 में हुई पार्टी की 19वीं कांग्रेस में सांस्कृतिक क्रांति के दिनों की वापसी की अटकलें लगाई जाने लगी थीं, जब शी जिनपिंग ने चीन के राष्ट्रपति पद के लिए कार्यकाल की सीमा को समाप्त कर दिया था। तब पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने चीन में, माओ के एक-व्यक्ति के शासन के दौर में लौटने की विशेष रूप से आशंका व्यक्त की थी। ये आशंकाएं फिर से उभर आई हैं। जबकि शी जिनपिंग की अभी भी सीसीपी पर एक मजबूत पकड़ है, लेकिन यह भी स्पष्ट है कि पार्टी का एक वर्ग उनसे असंतुष्ट है और यह अगले साल के अंत तक पार्टी कांग्रेस के आयोजन तक एक हद तक राजनीतिक अनिश्चितता का परिचय तो देता ही है


Translated by Dr Vijay Kumar Sharma (Original Article in English)
Image Source: https://th.thgim.com/news/international/13qoqy/article37024485.ece/ALTERNATES/FREE_660/XiJinping

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