अबू धाबी में हूती हमले
Hirak Jyoti Das, Senior Research Associate, VIF

अबू धाबी के मुसाफ्फा औद्योगिक शहर में 17 जनवरी 2022 को बैलिस्टिक मिसाइलों और ड्रोन से किए गए हूती विद्रोहियों के हमले में दो भारतीयों और एक पाकिस्तानी नागरिक की मौत हो गई थी। एक तेल रिफाइनरी में हमले के जरिए हूतियों ने यमन में जारी संघर्ष में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की भूमिका की ओर दुनिया का ध्यान खींचा था। प्रस्तुत टिप्पणी संयुक्त अरब अमीरात के साथ हूती के सीधे टकराव के कारणों की पहचान करने और यमन में जारी युद्ध पर इसके प्रभावों का विश्लेषण करने का एक प्रयास करती है।

यमन में यूएई का हस्तक्षेप

सऊदी अरब के साथ मिलकर संयुक्त अरब अमीरात ने सितम्बर 2014 में यमन की राजधानी सना पर कब्जा करने वाले हूती विद्रोहियों के आंदोलन के खिलाफ एक सैन्य अभियान शुरू किया था और जनवरी 2015 में अब्द्रबुह मंसूर हादी के नेतृत्व वाली सरकार को बेदखल कर दिया था जबकि यह सरकार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त थी। सऊदी-यूएई धुरी हूतियों की ईरानियों से सांप्रदायिक पहचान मिलने के कारण उसे तेहरान की प्रॉक्सी मानती है। ईरान के साथ सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात की प्रतिद्वंद्विता ने साझा यमन नीति को आकार देने में एक प्रमुख भूमिका निभाई है, जिसका मकसद हूती की क्षेत्रीय चौधराहट से मिलने वाली चुनौतियों को बेदम कर देना है।

यूएई ने 2011 के अरब वसंत के बाद से उथल-पुथल के दौर से गुजर रहे देशों में होने वाली घटनाओं को एक तारतम्य देने के लिए अपने बाहरी हितों में एक महत्त्वपूर्ण बदलाव लाते हुए अधिक हस्तक्षेपवादी दृष्टिकोण अपनाया है। संयुक्त अरब अमीरात ने सैन्य अभियान शुरू करने के बाद हूती के सैन्य शिविरों, हथियारों की दुकानों और उसकी आर्थिक परिसंपत्तियों पर हवाई हमले किए थे। हालांकि 2019 के जुलाई से अमीराती सरकार ने प्रत्यक्ष सैन्य अभियानों को धीरे-धीरे कम करते हुए उसे रोक दिया है। यमन से उसकी इस सीमित सामरिक कार्रवाई उस अंतरराष्ट्रीय निंदा का नतीजा है, जिसमें वहां मानवीय संकट बनाए रखने के लिए अरब गठबंधन की भूमिका को लेकर लानत-मलामत की गई है। वैसे यूएई की सैन्य रणनीति हूती को उखाड़ फेंकने में काफी हद तक विफल रही है। सऊदी अरब के ऊर्जा-संस्थानों एवं आर्थिक संपत्तियों, हवाई अड्डों और नागरिक केंद्रों पर ड्रोन और रॉकेट से किए गए ताबड़तोड़ हमलों के बाद अबू धाबी तुरंत सतर्क हो गया। इसलिए यमन से हटने का निर्णय उसकी संपत्ति की रक्षा का प्रयास है क्योंकि हूतियों से सक्रिय रूप से लड़ने की लागत उसे मिलने वाले लाभ की तुलना में कहीं अधिक है।

हालांकि, अबू धाबी ने हादी सरकार के प्रति वफादार बलों-साउदर्न ट्रांजिशनल कौंसिल (एसटीसी) और स्थानीय मिलिशिया को वित्तीय, सैन्य और तकनीकी सहायता देना जारी रखा है। यूएई का हादी सरकार के खिलाफ दक्षिणी क्षेत्रों में एसटीसी को मिला समर्थन उसके राजनीतिक और सैन्य रूप से खुद को मुखर करने के लिए महत्त्वपूर्ण रहा है। संयुक्त अरब अमीरात के प्रारंभिक लक्ष्य हैं-सना में हूती नियंत्रण को बेअसर करना और एसटीसी के समर्थन के जरिए अपने हितों को मजबूत करते हुए हादी हुकूमत की बहाली को अपनी प्राथमिकता से बाहर करना। संयुक्त अरब अमीरात ने मयुन और सोकोट्रा द्वीपों में अपने सैन्य ठिकाने भी बनाए हैं[1]

2021 में हूती गतिविधियां

हूती ताकतों ने अपनी मारक क्षमताओं में और सुधार करते हुए 2021 में मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी), क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों आदि का इस्तेमाल कर पूरे वर्ष सऊदी और उसके गठबंधन के बलों को अपना निशाना बनाया। सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (CSIS) के अनुसार, सऊदी अरब और गठबंधन के लक्ष्यों के खिलाफ हूती हमले 2021 के पहले नौ महीने 2020 की इसी अवधि की तुलना में प्रति माह दोगुनी हो गई है[2]। हौथी बलों ने सऊदी अरब द्वारा प्रस्तावित शांति समझौते को भी खारिज कर दिया है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में युद्धविराम करने, महत्त्वपूर्ण हवाई और समुद्री संपर्क को फिर से बहाल करने, जिसके तहत साना हवाई अड्डे एवं होदेइदाह बंदरगाह को फिर से खोलने और गठबंधन सेना द्वारा बंधक बनाए गए 14 जहाजों को छोड़े जाने के लिए राजनीतिक बातचीत की मांग शामिल थी [3] । जमीनी हमले के मामले में, हूती लड़ाकों ने कई मौकों पर सरकारी बलों पर हमला किया। यह आशंका थी कि मारिब शहर पर कब्जा हादी की अगुवाई वाली सरकार एवं गठबंधन बलों के अंत की शुरुआत होगी [4]

दक्षिणी यमनियों और संयुक्त बलों के हिस्से वाले जायंट्स ब्रिगेड के प्रवेश ने दिसम्बर 2021 से हादी सरकार के पक्ष में शक्ति संतुलन को झुका दिया है[5] । सरकार-गठबंधन बलों ने पूरे शबवा गवर्नरेट को पुनः हासिल कर लिया है और हूती लड़ाकों को वहां से बेदखल कर दिया है। सरकार-गठबंधन बल वर्तमान में मारिब और अल-बायदा शासन की ओर बढ़ रहे हैं। हूतियों की बढ़त को रोकने वाले हूती-विरोधी कुलीन बलों को यूएई ने प्रशिक्षित किया है और उन्हें वित्तपोषित किया है। इसलिए, हूतियों की बाजी पलटने के लिए अबू धाबी की मदद अहम थी[6] । विशेष रूप से, मारिब में 2021 में हूती आक्रमण ने मुस्लिम ब्रदरहुड से संबद्ध इस्लाह पार्टी को कमजोर कर दिया, जो इस क्षेत्र में सक्रिय हूती विरोधी ताकतों के प्रमुख गुटों में से एक है। संयुक्त अरब अमीरात जो मुस्लिम ब्रदरहुड का वैचारिक रूप से विरोध करता रहा है, वह अपने सहयोगी स्थानीय मिलिशिया का समर्थन करके और इस्लाह के प्रभाव को कमजोर करके मारिब में शक्ति शून्य को भरने में सफल रहा है।[7]। अबू धाबी हमले और 3 जनवरी 2022 को अमीराती पोत, रवाबी की जब्ती की कार्रवाई हाल के झटकों के बाद हूतियों की बढ़ती हताशा को जाहिर करती है[8] । अबू धाबी में मिसाइल और ड्रोन हमलों के माध्यम से समूह ने चेतावनी दी है कि यह अपने व्यावसायिक हितों और निवेशों को नुकसान पहुंचाकर संयुक्त अरब अमीरात के भीतर एक सुरक्षा की प्रतिकूल स्थिति पैदा कर देगा। इसने मांग की कि संयुक्त अरब अमीरात को यमन से राजनीतिक, सैन्य और आर्थिक रूप से पीछे हट जाना चाहिए और अपने सहयोगियों को आगे कोई जमीनी हमला करने से रोकना चाहिए। यमन के भीतर मिली नाकामयाबी के बाद हूती यह संदेश देना चाहते हैं कि वे सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात दोनों पर हमला करने में सक्षम एक दुर्जेय बल बना रहेगा[9]। संयुक्त अरब अमीरात हूती हमलों से अपेक्षाकृत सुरक्षित रहा है। वास्तव में, अमीराती क्षेत्र पर आखिरी हमला 2018 हूती दावे मुताबिक 2018 में लाल सागर तट पर सैन्य कार्रवाइयों के जवाब में और बंदरगाह शहर होदेइदाह पर कब्जे की लड़ाई के लिए किया गया था। अमीराती इलाके पर हूती हमले ने उसे 2019 से अपनी सीमित वापसी की रणनीति बनाने पर मजबूर कर दिया[10]

संभावित प्रभाव

नवीनतम हमले को हूती द्वारा यमन में यूएई की भागीदारी को सीमित करने या आर्थिक और सुरक्षा परिणामों भुगतने के लिए उस पर दबाव बनाने के एक दांव के रूप में देखा जा सकता है। हूती के हमले से सऊदी और अमीरात के सना में हवाई हमले और उनके सहयोगियों द्वारा मारिब और अल बेदा में जमीनी हमले होने की संभावना है। यूएई के नजरिए से, 2018 से उसकी सैन्य नीति के संदर्भ में स्थिति बदल गई है अर्थात जमीन पर खुद की सैन्य मौजूदगी बनाए रखने की बजाय स्थानीय सहयोगियों को सामरिक और वित्तीय सहायता दे कर उसके जरिए पीछे से लड़ाई लड़ने की हो गई है। यह देखना होगा कि क्या यूएई अपने नागरिक केंद्रों तथा आर्थिक एवं ऊर्जा संपत्तियों पर और हमले का जोखिम उठाने के लिए राजी है।

एक ही समय में हूतियों की कार्रवाइयों से ईरान के साथ संयुक्त अरब अमीरात के संबंधों पर असर पड़ने की संभावना है, जो वैचारिक और सैन्य रूप से हूतियों का समर्थन करता है। समूह को हथियार और प्रौद्योगिकी सहायता प्रदान करते हुए ईरान अपने रणनीतिक और राजनीतिक दृष्टिकोणों पर काबू नहीं रख पाता है। हूतियों ने समय के साथ बदलती गतिशीलता के आधार अपने हितों के अनुरूप पर सामरिक लचीलेपन का प्रदर्शन किया है। बहरहाल, ईरान हूती विद्रोहियों और सऊदी-यूएई धुरी के बीच की गतिशीलता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा।

नवीनतम हमले ने भारतीय प्रवासी पर क्षेत्र के असुरक्षात्मक वातावरण को सीधे तौर पर उजागर करि दिया है। मई 2021 में, इजरायल के भीतर हमास के रॉकेट से एक भारतीय महिला की मौत हो गई थी। जनवरी 2022 की शुरुआत में हूतियों द्वारा एक अमीराती जहाज की जब्ती के दौरान सात भारतीय नागरिकों को बंधक बना लिया गया था। अबू धाबी पर वर्तमान हमले ने प्रवासी भारतीय आबादी के सामने आने वाले ऊंच स्तरीय जोखिमों को स्पष्ट किया है। संयुक्त अरब अमीरात में भारतीय प्रवासी सबसे बड़ा समुदाय है, जिसकी तादाद लगभग 3.5 मिलियन है, जो वहां की कुल आबादी का 30 फीसदी है। अबू धाबी में, वहां की कुल जनसंख्या के अनुपात में 15 फीसदी भारतीय हैं[11] । अगर हमले आगे और होते हैं तो प्रवासी भारतीयों का जोखिम बढ़ जाएगा, जो वहां की अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में अपना योगदान दे रहे हैं। हाल के घटनाक्रमों के आलोक में, भारत सरकार को अपने नागरिकों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब के साथ बातचीत करनी चाहिए।

पाद टिप्पणियां:

[1]मिड्ल ईस्ट मॉनिटर, “यूएई बिल्डिंग ए 'मिस्ट्रियस' एअर बेस ऑन मयून आईलैंड नियर यमन,” मिड्ल ईस्ट मॉनिटर, 26 मई, 2021, एट https://www.middleeastmonitor.com/20210526-uae-building-a-mysterious-air-base-on-mayun-island-near-yemen/ (एक्सेस्ड् 17 जनवरी, 2022)।
[2]सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज, “दि इरानियन एंड हूती वार अगेंस्ट सऊदी अरबिया,” सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज, 21 दिसम्बर, 2021, एट https://www.csis.org/analysis/iranian-and-houthi-war-against-saudi-arabia (एक्सेस्ड् 18 जनवरी, 2022)।
[3]एल. वाल्म्सली, “यमन: सऊदी अरबिया प्रप्रोज ए पीस डील, बट हूतिज से इट्स नॉट एनफ,” एनपीआर, 22 मार्च, 2021, एट https://www.npr.org/2021/03/22/980031673/yemen-saudi-arabia-proposes-a-peace-deal-but-houthis-say-its-not-enough (एक्सेस्ड् 18 जनवरी, 2022)।
[4]एस.स्नाइडर, “यमन’ज मोस्ट स्टेबल सिटी थ्रेटेन्ड वाई हूती टेकओवर,” दि वर्ल्ड, 19 फरवरी 2021, एट https://theworld.org/stories/2021-02-19/yemens-most-stable-city-threatened-houthi-takeover (एक्सेस्ड् 19 जनवरी, 2022)।
[5]मिड्स ईस्ट आई, “यमन: हू आर दि यूएई-बैक्ड जिआंट्स ब्रिग्रेड?” मिड्ल ईस्ट आई, 12 जनवरी 2022, एट https://www.middleeasteye.net/news/yemen-giants-brigades-uae-backed-who (एक्सेस्ड् 19 जनवरी, 2022)।
[6]एस. अल-बटाटी,“यमनी ट्रूप्स रिकैप्चर डिस्ट्रिक्ट इन शबावा फ्रॉम हूतीज,” अरब न्यूज, 2 जनवरी 2022, एट https://www.arabnews.com/node/1996901/middle-east (एक्सेस्ड् 19 जनवरी, 2022)।
[7]ए. अल-शमाही,“व्हाट इज बिहाइंड दि हूती अटैक्स इन यूएई?,” अल जजीरा, 17 जनवरी 2022, एट https://www.aljazeera.com/news/2022/1/17/explainer-houthi-attacks-abu-dhabi-uae (एक्सेस्ड् 18 जनवरी 2022)।
[8]अल जजीरा“यमन: हूतीज सीज यूएई वेसल कैरिंग ‘मिलिट्री सप्लाईज,” अल जजीरा 3 जनवरी 2022, एट https://www.aljazeera.com/news/2022/1/3/yemen-houthis-seize-uae-vessel-carrying-military-supplies (एक्सेस्ड् 19 जनवरी, 2022)।
[9]आर. फिलिपोज, “एक्सप्लेंड: हू आर हूतीज एंड व्हाई डिड दे अटैक यूएई?” दि इंडियन एक्सप्रेस 19 जनवरी 2022, एट https://indianexpress.com/article/explained/abu-dhabi-drone-attack-houthis-explained-7730996/ (एक्सेस्ड् 19 जनवरी, 2022)।
[10]अल जजीरा “व्हाट इज बिहाइंड दि हूती अटैक्स इन यूएई?,” अल जजीरा, 18 जनवरी 2022, एट https://www.aljazeera.com/amp/program/inside-story/2022/1/18/whats-behind-the-houthis-attack-on-the-uae (एक्सेस्ड् 18 जनवरी 2022)।
[11]इंडियन एम्बैसी, अबू धाबी, “इंडियन कम्युनिटी इन यूएई,” इंडियन एम्बैसी, अबू धाबी, 2022, एट https://www.indembassyuae.gov.in/indian-com-in-uae.php (एक्सेस्ड् 19 जनवरी, 2022)।

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Translated by Dr Vijay Kumar Sharma (Original Article in English)
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