विकासशील से विकसित दिशा की ओर अग्रसर भारत
Akanksha Bajpai

नात्मप्रियं प्रियं राज्ञः प्रजानां तु प्रियं प्रियम्॥ (अर्थशास्त्र 1/19)
(अर्थात्- राजा का अपना प्रिय (स्वार्थ) कुछ नहीं है, प्रजा का प्रिय ही उसका प्रिय है।)

एक श्रेष्ठ राजा वही होता है, जो अपनी प्रजा के अंतिम व्यक्ति को भी खुशियां देने का हर संभव प्रयास करता है ।

दुनिया के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश भारत को, वर्तमान सरकार द्वारा एक खुशहाल एवं संपन्न देश बनाने के साथ-साथ,भारत के जन-जन से संपर्क साधने के प्रत्येक संभव प्रयास किये जा रहे हैं, और पूर्ण निष्ठा के साथ कार्यरत,प्रभावी ढंग से नीतियां बनाकर और उन्हें लागू करने की सरकार की विलक्षण क्षमता,साथ ही नागरिकों का सम्मान और उनके बीच आर्थिक व सामाजिक मेल-मिलाप के लिए, किये जा रहे सर्व-संभव प्रयासों में सरकार की कर्तव्य परायणता, काफी हद तक परिलक्षित हो रही है।

आजादी के इतने वर्षों बाद भी शौचालय की अव्यवस्था एवं अपने परिवेश में अस्वच्छता जैसी समस्याओं की गंभीरता को समझते हुए वर्तमान सरकार द्वारा उठाए गए कदम न सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर अपितु अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अत्यधिक सराहे गए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन से लेकर गेट्स फाउंडेशन जैसी विश्व स्तरीय संस्थाओं द्वारा स्वच्छ भारत मिशन को अत्यधिक महत्वपूर्ण मानते हुए भारत सरकार को सम्मानित किया गया।’

इसके अतिरिक्त (JAM) जनधन,आधार,और मोबाइल से लेकर उज्ज्वला योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, नमामि गंगे, श्रम योगी मानधन योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, आयुष्मान योजना, नवीन शिक्षा नीति योजना, आत्मनिर्भर भारत इत्यादि महत्वपूर्ण योजनाओं के माध्यम से वर्तमान सरकार द्वारा अभूतपूर्व परिवर्तन कर, महिलाओं को, युवाओं को, किसानों को, गरीबों को, भारत के प्रत्येक नागरिक को, लाभान्वित करने के श्रेष्ठ प्रयासों द्वारा, भारत को एक सक्षम एवं सशक्त राष्ट्र के रूप में, संपूर्ण विश्व पटल पर एक नए रूप में गौरवान्वित करने के पूर्ण प्रयास किये जा रहे हैं ।

कोरोना महामारी जैसी विषम परिस्थिति में भी,अन्य देशों की अपेक्षा, विशाल जनसंख्या वाले देश को सम्हालने में भी भारत सरकार ने अद्वितीय भूमिका निभाई। देश में ही नहीं अपितु विदेशों में भी फंसे अपने नागरिकों को वापस लाने की पहल, “वंदे भारत मिशन,” दुनिया की सबसे बड़ी पहलों में से एक बन गया। दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सिनेशन प्रोग्राम हमारे देश भारत में चल रहा है। 54 करोड़ से ज्यादा लोग वैक्सीन डोज लगा चुके हैं।

प्रजासुखे सुखं राज्ञः प्रजानां च हिते हितम्।

प्रजा के सुख में ही राजा का सुख निहित है, प्रजा के हित में ही उसे अपना हित देखना चाहिए।

चाणक्य की इस नीति को सत्य सिद्ध करते हुए, वर्तमान सरकार द्वारा, जनकल्याण के हित में अनेक प्राचीन संकल्पों (जैसे, आर्टिकल 370,राम-मंदिर का शांतिपूर्ण न्याय, नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति इत्यादि ) को पूर्ण कर, नवीन संकल्प लेकर सवा सौ करोड़ भारतीयों को ‘सबका साथ, सबका विकास, एवं सबका विश्वास’ के मंत्र को सर्वोपरि मानते हुए आत्मविश्वास एवं आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने के स्वर्णिम अवसर प्रदान किये जा रहे हैं ।

कोई भी देश सिर्फ शीर्ष पर सुशोभित शासनिक एवं प्रशासनिक व्यक्तियों से नहीं चलता है,अपितु उस देश के प्रत्येक नागरिक की उचित सलाह एवं सहयोग के रूप में भागीदारी भी एक सफल लोकतंत्र के लिए अनिवार्य है । इस बात की अनिवार्यता को समझते हुए वर्तमान सरकार ने संविधान का पूर्ण सम्मान करते हुए, भाषा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के आधार पर सभी को अपना पक्ष रखने का स्वतंत्र अवसर देने के विभिन्न विकल्प भी प्रदान किए हैं और इसीलिए आज एक छोटे बच्चे से लेकर वृद्ध तक सभी, अपनी बात सीधे सरकार तक पहुंचाने में सक्षम हैं और उनकी बात को सुनकर संवैधानिक तरीके से यथासंभव क्रियान्वयन भी किया जा रहा है। सोशल मीडिया, (जैसे फेसबुक,ट्विटर,इत्यादि) के अतिरिक्त भारत-सरकार की ‘मेरी सरकार’ mygov.in एवं www.pmindia.gov.in इत्यादि वेबसाइट के माध्यम से भी भारत का प्रत्येक नागरिक सीधा प्रधानमंत्री तक अपनी सलाह/ विचार या शिकायत इत्यादि पहुंचा कर सीधे प्रधानमंत्री से जुड़ सकता है। भारत की भाषायी विविधता को ध्यान में रखते हुए, दूरदराज के गांवों इत्यादि के भी प्रत्येक नागरिक से जुड़ने के लिए, रेडियो के जरिये “मन की बात” कार्यक्रम का प्रसारण प्रारम्भ किया गया।

यह अपने आप में भारत की आधुनिक राजनीति में एक अत्यंत सराहनीय कदम है।

सरकार की पारदर्शिता आज के समय में सबसे बड़ी उपलब्धि है, भारत सरकार की कई निविदाओं के लिए ऑनलाइन व्यवस्था का प्रारंभ, भ्रष्टाचार के अंत का अतुलनीय शुभारंभ कहा जा सकता है। डिजिटाइजेशन या ऑनलाइन कार्यप्रणाली ने बिचौलियों द्वारा हेरा-फेरी या निम्न वर्ग का शोषण,भ्रष्टाचार एवं अन्य अपराधों पर नकेल कस दी है। यह व्यवस्था आम-जनमानस के लिए लाभप्रद सिद्ध हो सकती है। वर्तमान सरकार द्वारा प्रारंभ,पहल योजना के अंतर्गत डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर्स के रूप में सब्सिडी सीधे बैंक खातों में जमा कराई जाती है। इस योजना को गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में स्थान देकर विशिष्ट सराहना मिली है ।

आज भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक अलग एवं सशक्त पहचान मिली है ।

भारत की रक्षा नीति और भारतीय सेना के पराक्रम से लेकर भारत की वैदिक, सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक धरोहर को उच्च शीर्षस्थ कर,आज पुनः भारत का परचम समग्र विश्व-पटल पर लहरा रहा है।

भारत के योग का, समग्र विश्व की जीवन शैली का प्राथमिक हिस्सा बन जाना, भारत के सम्मान के साथ, भारत का वैश्विक स्तर पर अतुलनीय योगदान कहा जा सकता है। इसके अतिरिक्त अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले अति-महत्वपूर्ण सम्मेलनों एवं विचार-विमर्श में भी,भारत को विशेष महत्व देते हुए भारतीय विचारों एवं सुझावों को प्रथम श्रेणी में लिया जाने लगा है।

"जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता का शासन ही लोकतन्त्र की विशेषता होती है।" जनता का सर्वांगीर्ण विकास ही भारत सरकार का एकमात्र लक्ष्य है, इसलिए समाज के हित में सर्वोचित निर्णय लेने के लिए भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री समय-समय पर जन संवाद के माध्यम से भारत के प्रत्येक वर्ग से जुड़कर, उनके विचार इत्यादि साझा कर उनकी प्रतिक्रिया लेते रहते हैं।

आज देश में संस्कृति एवं संस्कारों का पुनः उदय हो रहा है। हमारे असली प्रेरणाश्रोत,जो अपने अथक प्रयासों से सम्पूर्ण विश्व में भारत का मान बढ़ाते आये हैं,ऐसे सभी, साधारण वेश में असाधारण कार्य करने वाले महान व्यक्तित्वों को प्रथम स्थान देकर न सिर्फ उनका मान बढ़ाया जा रहा है,अपितु समग्र राष्ट्र के समक्ष प्रेरणाश्रोतों के रूप में असली हीरो/ हेरोइन के रूप में प्रदर्शित कर, सम्मानित किया जा रहा है।

आज दिखावे को नहीं अपितु, योग्य एवं योग्यताओं को अवसर मिल रहे हैं। एक खिलाडी से लेकर, वैज्ञानिक, लेखक, गायक, नेता, साहित्यकार, समाजसेवी किसी भी क्षेत्र में,प्रतिभाशाली प्रत्येक युवा को उसके योगदान के लिए सरकार द्वारा विभिन्न रूप में पुरस्कृत कर, युवाओं की नेतृत्व- क्षमता एवं योग्यता के साथ,उनके कार्यों को भी प्रोत्साहित कर, उन्हें पूर्ण सम्मान के साथ स्वीकार किया जा रहा है। देश, काल, और परिस्थिति के अनुसार सकारात्मक परिवर्तन स्वीकार करना किसी भी राष्ट्र की उन्नति में सदैव सहायक ही सिद्ध होता है।

“देशकालौ भजस्वाद्य क्षममाण: प्रियाप्रिये। सुखदु:खसह: काले सुग्रीववशगो भव।”
रामायण के इस श्लोक में बालि ने अगंद से कहा है कि सुखी रहने के लिए देश, काल और परिस्थितियों को समझकर ही आगे बढ़ना चाहिए।

किसी भी राष्ट्र के उत्थान में उस राष्ट्र के सर्वोच्च शासन की विभिन्न जिम्मेदारियां होती हैं और इन जिम्मेदारियों के प्रति न्यायपूर्ण क्रियान्वयन करना, शासन का सर्वप्रथम एवं सर्वमहत्वपूर्ण कर्तव्य होता है। यूँ तो किसी भी सरकार के शासन को मापना स्वाभाविक रूप से एक जटिल कार्य है, किन्तु आज व्यापक स्तर पर सरकार की प्रभावशीलता, नियामक की गुणवत्ता, कानून का शासन और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण , देश की सुरक्षा, आतंकवाद निरोधी कानून को अनलॉफुल एक्टिविटिज (प्रिवेंशन) एक्ट में संशोधन कर, देश हित में लिए गए सख्त निर्णय इत्यादि जैसे विभिन्न आयामों पर वर्तमान सरकार की नीतियां सफल होती नज़र आ रही है।

सरदार पटेल से लेकर श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी समेत, समस्त वरिष्ठ महानायकों के अखंड भारत के स्वप्न को वर्तमान सरकार ने सत्ता में आने के बाद, देश में “एक विधान, एक प्रधान, व एक निशान” व्यवस्था लागू कर, कश्मीर से कन्याकुमारी तक समग्र भारत को शांतिमय तरीके से एक सूत्र में पिरोकर, अपनी कर्तव्यपरायणता का उच्च-आदर्श स्थापित किया है।

दुनिया के समृद्ध देशों की तुलना में,भारत अभी, अपनी विकास यात्रा के पथ पर, अपने संस्कारों के साथ, समृद्धि की ओर गतिमान है।किन्तु किसी भी देश को समृद्ध, सुरक्षित,खुशहाल एवं शक्तिशाली बनाने में उस देश की सरकार के साथ, उस देश के समस्त नागरिकों की भूमिका भी अत्यंत महत्वपूर्ण होती है इसलिए अब बारी है, भारत के प्रत्येक नागरिक की, राष्ट्रहित में अपना सहयोग एवं भागीदारी प्रस्तुत करने की।

तो आइए हम भी हमारे कर्तव्यों को निभाते हुए, कुछ अर्थहीन, एवं असंगत बातों से आज़ादी के नवीन संकल्प लेकर, भारत सरकार के साथ अपनी पूर्ण-सहभागिता दर्शाते हुए,भारत को और अधिक गौरवशाली एवं प्रभावशाली बनाकर,एक नए युग के साक्षी बन जाएँ।

  • योग अपनाकर, रोगों से पाएं आजादी
  • अपना परिवेश स्वच्छ बनाकर, गंदगी से पाएं आजादी
  • शिक्षा और ज्ञान बढ़ाकर, अज्ञानता एवं भ्रष्टाचार से पाएं आजादी
  • भारतीय संस्कृति और संस्कार अपनाकर, विदेशी ताकत से पाएं आजादी
  • तकनीकी और विज्ञान समझकर, पिछड़ेपन से पाएं आजादी
  • मातृभाषा को अपनाकर, मैकॉले की धूर्ततापूर्ण नीति से पाएं आजादी
  • वृक्षारोपण की श्रंखला बढ़ाकर, बढ़ते प्रदूषण से पाएं आजादी
  • स्वराष्ट्र के प्रति समर्पित होकर, आतंकवाद से पाएं आजादी

“सुनो बड़ी सामर्थ्य छिपी है, ----- इस छोटे से नर में। युग का नवतीरथ बनता है युग सृष्टा के घर में।।
करे न यदि हम यत्न, ---पास होके भी वस्तु निरर्थक। ऐसा मनुज मात्र रह जाता है, इस दुनिया में दर्शक ।।
इसीलिए कहते हैं, -----निज सम्मान न व्यर्थ गवाओ। चाहे वह ईश्वर ही हो तुम झोळी मत फैलाओ।।”

- - गायत्री परिवार

आजादी के 75वें स्वतंत्रता दिवस पर ‘14 अगस्त को, विभाजन विभिषिका स्मृति दिवस’ का तय किया जाना, मानो प्रत्येक भारतीय के अस्तित्व को सजीवता प्रदान करने के सामान है। वर्तमान सरकार द्वारा लिया गया,अत्यंत भावुक एवं महत्वपूर्ण,यह निर्णय अत्यंत सराहनीय है।

“स्वतंत्र भारत के इस युग के समस्त निर्माताओं, हमारे समस्त स्वतंत्रता-सेनानियों को कोटि कोटि नमन एवं भावपूर्ण श्रद्धांजलि।

“धर्म वेदिका पर मिटने वालों की स्मृति आती है और दृष्टि इस युग के निर्माता पर टिक जाती है।
सभी दिशाओं में फहरायी धर्म ध्वजाएं बढ़कर , राष्ट्रभक्ति ही धर्म है सबका कहता वो अलख जगाकर।”

- - गायत्री परिवार

पाद-टिप्पणियां:

(The paper is the author’s individual scholastic articulation. The author certifies that the article/paper is original in content, unpublished and it has not been submitted for publication/web upload elsewhere, and that the facts and figures quoted are duly referenced, as needed, and are believed to be correct). (The paper does not necessarily represent the organisational stance... More >>


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