पाकिस्तान का संघीय बजट 2019-20 – यथार्थ से परे महत्वाकांक्षाएं
Prateek Joshi

राजकोष के लगातार दुरुपयोग पर अंकुश लगाने की अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की शर्तों तथा वित्त वर्ष 2019-20 में महज 2.4 फीसदी वृद्धि के निराशाजनक अनुमानों के साये तले 11 जून, 2019 को पाकिस्तान का आम बजट पेश किया गया।1 बजट की खास बात राजस्व संग्रह को अधिक से अधिक करने का लक्ष्य है ताकि आईएमएफ को पता चल सके कि पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था संसाधन जुटा सकती है क्योंकि आईएमएफ इसी शर्त पर 6 अरब डॉलर का वित्तीय पैकेज देने के लिए तैयार हुआ है।

बजट में कुल 7.022 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये के व्यय का अनुमान है। साथ ही 7.29 ट्रिलियन के चालू व्यय (संपत्ति सृजन नहीं करने वाला व्यय) और 8.24 ट्रिलियन के आकार का अनुमान रखा गया है।2 अनुमानित चालू व्यय में पिछले वित्त वर्ष के आंकड़े (4.7 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये) से 75 फीसदी की खतरनाक वृद्धि हुई है। सबसे अधिक वृद्धि घरेलू और विदेशी ऋण का ब्याज आदि चुकाने में होने वाले खर्च में हुई है, जो 1.9 ट्रिलियन से बढ़कर 2.8 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये (लगभग 48 फीसदी) हो गया है। रक्षा व्यय मामूली वृद्धि के साथ पिछले वर्ष के 1.13 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये से बढ़कर 2019-20 में 1.15 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये हो गया है। पेंशन तथा दैनिक नागरिक प्रशासन से जुड़ा खर्च 510 अरब पाकिस्तानी रुपये होने का अनुमान जताया गया है, जो चालू खाते के बजट का हिस्सा है।

चूंकि सरकार ऋण और ब्याज के भुगतान तथा रोजमर्रा के सरकारी खर्चों वाले चालू व्यय में अधिक कटौती नहीं कर सकती, इसलिए उसकी भरपाई के लिए उसने विकास पर होने वाले व्यय में 17.4 फीसदी कमी कर दी और उसे 1.15 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये से घटाकर 950 अरब पाकिस्तानी रुपये कर दिया (इसमें 700 अरब पाकिस्तानी रुपये सार्वजनिक क्षेत्र के विकास व्यय (पीएसडीपी) के लिए आवंटित किए गए हैं)। पीएसडीपी में प्रांतों की हिस्सेदारी के रूप में सरकार ने 917 अरब पाकिस्तानी रुपये आवंटित किए।

ध्यान रहे कि असैन्य सरकार को चलाने के लिए खर्च कम करने का दावा करते हुए नई सरकार ने किस तरह ‘मितव्ययिता’ पर चलने का वादा किया था, लेकिन खर्च में कटौती बहुत मामूली प्रतीत होती है क्योंकि पिछले वर्ष इस पर 217 अरब पाकिस्तानी रुपये खर्च हुए थे, जिन्हें इस वर्ष घटाकर 187 अरब रुपये किया गया है। वास्तव में सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र में व्यय में अच्छी खासी कटौती की गई है। शिक्षा के लिए 77 अरब पाकिस्तानी रुपये का बजट रखा गया है, जो 2018-19 में आवंटित बजट से 20 अरब पाकिस्तानी रुपये कम है। पर्यावरण संरक्षण के लिए पिछले साल केवल 1.2 अरब पाकिस्तानी रुपये आवंटित किए गए थे, जिन्हें घटाकर इस बार 47 करोड़ रुपये पर समेट दिया गया है। आर्थिक मद (कृषि, खनन, विनिर्माण, निर्माण एवं संचार पर खर्च) में आवंटन पिछले वर्ष 142 अरब पाकिस्तानी रुपये था, जिसे इस बजट में घटाकर केवल 84 अरब डॉलर (करीब 70 फीसदी कटौती) पर समेट दिया गया है। यह निश्चित नहीं है कि आर्थिक मामलों के लिए इस साल आवंटन इतना कम क्यों रहा है, जबकि पिछले वर्ष प्रस्तावित आवंटन (80 अरब पाकिस्तानी रुपये) की तुलना में वास्तविक खर्च (142 अरब पाकिस्तानी रुपये) 80 प्रतिशत अधिक रहा था।

सकल राजस्व लक्ष्य 6.71 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये रहने का अनुमान है, जो 2018-19 में हुए संग्रह (5.031 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये) के मुकाबले 25 फीसदी अधिक है। 3.25 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये की प्रांतीय हिस्सेदारी कम कर दें तो 5.55 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये का महत्वाकांक्षी कर राजस्व लक्ष्य रखा गया है, जो पिछले वर्ष के राजस्व संग्रह (4.15 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये) से करीब 35 फीसदी अधिक है। असल में प्रत्यक्ष कर 25 फीसदी बढ़ाकर 2.09 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये और अप्रत्यक्ष कर 39 फीसदी बढ़ाकर 3.4 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये करने का लक्ष्य है। बजट में गैर-कर राजस्व 40 फीसदी बढ़ाकर 894 अरब पाकिस्तानी रुपये तक पहुंचाने का प्रस्ताव है।

ऐसे महत्वाकांक्षी लक्ष्यों और पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के सामने खड़ी चुनौतियों को देखते हुए पाकिस्तान की राजस्व जुटाने की क्षमता पर सवाल खड़े होना स्वाभाविक है। प्रत्यक्ष करों के क्षेत्र में सरकार ने आयकर स्लैब 12 लाख सालाना से घटाकर 6 लाख सालाना पाकिस्तानी रुपये करने का जनविरोधी रास्ता चुना, जो मध्य वर्ग को अच्छा नहीं लगा है। कर संग्रह के घटिया रिकॉर्ड और अंधाधुंध कर चोरी के कारण पाकिस्तान का कर-जीडीपी अनुपात 11 फीसदी से भी कम है और दुनिया के सबसे कम कर-जीडीपी अनुपातों में से एक है। केवल 20 लाख लोग आयकर रिटर्न दाखिल करते हैं, जिनमें से 6 लाख संगठित क्षेत्र के कर्मचारी हैं। कुल कर में 380 कंपनियों का 80 फीसदी योगदान है। देश में बिजली और गैस के 3.41 लाख से भी अधिक कनेक्शन हैं, लेकिन केवल 40,000 (10 फीसदी से भी कम) बिक्री कर में पंजीकृत हैं। 31 लाख में से केवल 14 लाख वाणिज्यिक उपभोक्ता कर चुकाते हैं। 5 करोड़ बैंक खातों में से केवल 10 फीसदी कर अदा करते हैं। पाकिस्तान के प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग में पंजीकृत 1 लाख कंपनियों में से केवल आधी कर चुकाती हैं। पाकिस्तान के सभी बजटों में राजस्व लक्ष्य महत्वाकांक्षी रहा है; लेकिन पिछले पांच वर्ष के रिकॉर्ड बताते हैं कि संशोधित अनुमान हमेशा ही लक्ष्य से पीछे रहे हैं। वित्त वर्ष 2018-19 में भी शुद्ध राजस्व प्राप्तियां लक्षित अनुमान से 17 फीसदी कम रहीं।

अप्रत्यक्ष करों के मामले में सीमाशुल्क से 1 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये का राजस्व मिलने का अनुमान जताया गया है, जो पिछले वर्ष के संग्रह से करीब 36 फीसदी अधिक है, जबकि राजस्व मंत्री ने बजट भाषण में किया कि 1,600 से अधिक वस्तुओं -अधिकतर कच्चे माल एवं इंटरमीडियरी पर - पर शुल्क माफ कर दिया गया है। लेकिन इस नुकसान की भरपाई तेज औद्योगिक वृद्धि से होने का अनुमान है, जो इस वक्त सुस्त है। इसी तरह विभिन्न मशीनरी, स्टील स्ट्रिप, घरेलू उपकरणों, चिकित्सकीय उपयोग की वस्तुओं आदि पर शुल्क या तो कम कर दिया गया है या खत्म कर दिया गया है। लेकिन अतिरिक्त सीमा शुल्क की दर 16 फीसदी के बिक्री स्लैब पर 2 फीसदी से बढ़ाकर 4 फीसदी और 20 फीसदी स्लैब पर बढ़ाकर 7 फीसदी कर दी गई है। सिद्धांत रूप से इसमें लक्जरी वस्तुओं समेत आयातित तैयार वस्तुएं शामिल हैं। अभी तक शुल्कमुक्त रहे एलएनजी आयात पर 5 फीसदी सीमा शुल्क लगाने का प्रस्ताव किया गया है। बिक्री कर का 2.1 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये का लक्ष्य भी यथार्थ से परे लगता है क्योंकि पिछले वर्ष की तुलना में इसमें करीब 41 फीसदी बढ़ोतरी की गई है। सरकार ने राजस्व संग्रह के लिए सामान्य बिक्री कर की 17 फीसदी की दर बढ़ाने का आसान रास्ता अपनाया है। कन्फेक्शनरी से लेकर मशीन के पुर्जों तक विभिन्न वस्तुओं पर 2 फीसदी का अतिरिक्त कर लगाया गया था, लेकिन दो वस्तुओं - वाहन पुर्जों और हथियार एवं गोला-बारूद - पर कर हटा लिया गया है। चीनी पर कर 3 फीसदी से बढ़ाकर 17 फीसदी कर दिया गया है, जिससे जनता में असंतोष बहुत बढ़ गया है।

नेशनल असेंबली में 146 के मुकाबले 176 वोट के मामूली बहुमत से पारित हुए 2019-20 के वित्त विधेयक पर पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने भी 30 जून, 2019 को दस्तखत कर दिए।3 लेकिन भारीभरकम कर योजना के बाद भी 2019-20 में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 3.15 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये (3.46 ट्रिलियन के शुद्ध राजस्व संग्रह और 456 अरब प्रांतीय अधिशेष में से 7.022 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये का व्यय घटाने के बाद) या जीडीपी का 7.1 फीसदी रखा गया है, जो पिछले वित्त वर्ष में भी इतना ही था। पीटीआई के नेतृत्व वाली सरकार के 2019-20 के पहले बजट में दिए गए लक्ष्य तभी पूरे हो सकते हैं, जब राजस्व संग्रह के बेहद महत्वाकांक्षी उपाय कारगर साबित हों। लेकिन उस मामले में बजट यथार्थ से परे लगता है।

संदर्भः
  1. सैयद रजा हुसैन और ड्रैजन जोर्गिच, “Pakistan stocks up, but IMF-friendly budget gets mixed reviews”, रॉयटर्स, लंदन, 12 जून, 2019
  2. बजट भाषण 2019-20, 11 जून, 2019, लिंक: http://finance.gov.pk/budget/budget_speech_english_2019_20.pdf
  3. सैयद इरफान रजा, “PTI manages to get budget passed with 176 NA votes”, डॉन, इस्लामाबाद, 29 जून, 2019

Translated by Shiwanand Dwivedi (Original Article in English)
Image Source: https://gooposts.com/assets/images/postimages/1560258449_jpg_pak-budget-2019-2020.jpg

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