प्रधानमंत्री देउबा की भारत यात्रा – समीक्षा
Dr Madhumita Srivastava Balaji

जिस समय डोकलम में भारत-चीन विवाद अपने चरम पर था, ठीक उसी समय 23 से 27 अगस्त के बीच नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा भारत की पांच दिन की सरकारी यात्रा पर आए, जो मई, 2017 में पद संभालने के बाद से उनकी पहली विदेश यात्रा थी। नेपाल के प्रधानमंत्री के तौर पर देउबा की यह चौथी भारत यात्रा थी। पिछली यात्राएं प्रधानमंत्री के तौर पर उनके पिछले कार्यकाल में हुई थीं। पिछले डेढ़ वर्ष में नेपाली प्रधानमंत्री की यह तीसरी भारत यात्रा थी। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल - यूनिफाइड मार्क्सिस्ट लेनिनिस्ट (सीपीएन-यूएमएल) के के पी शर्मा ओली ने पिछले वर्ष फरवरी में भारत आए थे, जिनके बाद सितंबर, 2016 में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल माओइस्ट सेंटर (सीपीएन-एमसी) के पुष्प कमल दहल प्रचंड ने यात्रा की।

देउबा की यात्रा को विश्लेषकों द्वारा भारत और नेपाल की सरकारों के लिए अपने रिश्तों को सुधारने के अवसर के तौर पर देखा जा रहा है। दोनों के द्विपक्षीय रिश्तों में विशेषकर के पी शर्मा ओली के कार्यकाल के दौरान अजीब सा तनाव रहा था। निश्चित रूप से यह यात्रा ऐसे वक्त में हुई है, जब दोनों देश मतभेद मिटाने के लिए और लंबे समय से चले आ रहे द्विपक्षीय एकता भरे संबंधों को बढ़ावा देने के इच्छुक ही नहीं थे बल्कि उत्सुक भी थे। यात्रा का असाधारण महत्व इसलिए भी था क्योंकि यह भारत और नेपाल के राजनयिक रिश्ते स्थापित होने के 70वें वर्ष में हुई थी। भारत-नेपाल संबंधों की अच्छी स्थिति पर संतोष जताते हुए नेपाल के प्रधानमंत्री ने उच्च स्तरीय संपर्कों के नियमित आदान-प्रदान की सराहना की, जिसने हमारे द्विपक्षीय सहयोग को नई गति देने में बहुत योगदान किया है। दोनों प्रधानमंत्रियों ने शांति, विकास और संपन्नता के स्तंभों केजरिये लोकतांत्रिक संस्थाओं की अपरिहार्यता पर भी जोर दिया।

प्रधानमंत्री मोदी और यात्रा पर आए प्रधानमंत्री ने अपेक्षानुसार द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं पर समग्र वार्ता की। किंतु प्रधानमंत्री देउबा के नई दिल्ली पहुंचने के फौरन बाद दोनों नेताओं के बीच बिना किसी पूर्व कार्यक्रम के हुई बातचीत सुखद आश्चर्य देने वाली थी। इस असामान्य घटना पर कोई भी आधिकारिक स्पष्टीकरण नहीं आया, लेकिन अटकलें लगाई जा रही हैं कि डोकलम पर जारी संकट के कारण ही ऐसा हुआ होगा। चाहे जो हो, आधिकारिक बातचीत के महत्वपूर्ण हिस्से यात्रा के अंत में जारी किए गए संयुक्त बयान में दिए गए थे। इसमें द्विपक्षीय संबंधों के विभिन्न पहलू शामिल थे, जिनमें सुरक्षा की चिंता, वर्तमान परियोजनाओं की प्रगति में बाधा डालने वाली दिक्कतें दूर करना, नेपाल में भूकंप के बाद पुनर्निर्माण के उपाय, भारत की सहायता वाली विकास परियोजनाएं, अधिक संपर्क और तेल एवं गैस क्षेत्रों में सहयोग आदि हैं।

राजनीतिक मसलों की बात करें तो प्रधनमंत्री मोदी ने स्थानीय स्तर के चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न कराने के नेपाल के प्रयास की सराहना की। इसके अलावा नेपाल-भारत संबंधों पर विशिष्ट व्यक्तियों के समूह द्वारा फरवरी, 2016 से अब तक हुई प्रगति पर भी बात हुई। प्रधानमंत्री देउबा ने भी चुनावों के आयोजन की प्रक्रिया और नए संविधान के क्रियान्वयन की प्रक्रिया के कुछ पहलुओं, विशेषकर संविधान संशोधन विधेयक पर अपनी दृढ़ता का जिक्र किया। लेकिन नेपाल में उनक इस कदम की आलोचना हुई। बहरहाल इससे समझना चाहिए कि इस मसले पर वहां अब भी कितना राजनीतिक मतभेद है।

संयुक्त बयान के अनुसार दोनों पक्षों ने जिन प्रमुख मसलों/क्षेत्रों पर सहमति जताई, वे इस प्रकार हैं:-

• दोनों प्रधानमंत्रियों ने 2016 में स्थापित की गई निगरानी प्रक्रिया पर और द्विपक्षीय सामाजिक-आर्थिक विकास के तहत जारी परियोजनाओं की बाधाएं समाप्त करने तथा उन्हें तेज करने में इस प्रक्रिया के अंतर्गत किए गए प्रयासों पर संतोष जताया।
• भारत ने भूकंप के बाद पुनर्निर्माण की परियोजनाएं समयबद्ध तरीके से तेज करने के लिए नेपाल सरकार के साथ काम करने की अपनी प्रतिबद्धता एक बार फिर दोहराई। पुनर्निर्माण में भारत के सहयोग के लिए चार क्षेत्रों में परियेाजनाएं पहचानी गई हैं। परियोजना भूकंप के बाद पुनर्निर्माण के लिए दिए जा रहे 75 करोड़ डॉलर के ऋण से बनेंगी।
• नेपाल में सड़कों और बिजली के ढांचे को विकसित करने के लिए 10 करोड़ डॉलर और 25 करोड़ डॉलर की दो ऋण राशियों के उपयोग की समीक्षा भी की गई। प्रधानमंत्री देउबा ने 55 करोड़ डॉलर की ऋण सीमा में से सिंचाई परियोजनाओं के लिए 20 करोड़ डॉलर और सड़क के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 33 करोड़ डॉलर दिए जाने का स्वागत किया।
• सीमा पार संपर्क तेज करने के लिए अभी बन रही दो सीमा पार रेल संपर्क परियेाजनाओं - (अ) जयनगर-बीजलपुर-बर्दिबास और (आ) जगबनी-विराटनगर रेल संपर्क - को जल्द पूरा करने का प्रयास करने पर सहमति बनी। जयनगर से जनकपुर और जोगबनी से विराटनगर कस्टम यार्ड तक रेल संपर्क 2018 तक पूरे होने की संभावना है।
• (अ) न्यू जलपाईगुड़ी से काकरभिट्टा, (आ) नौतनवा से भैरहवा और (इ) नेपालगंज रोड से नेपालगंज का फील्ड लोकेशन सर्वेक्षण जल्द पूरा करने का समझौता भी हुआ।
• विराटनगर में एकीकृत जांच चौकी (आईसीपी) का निर्माण और दिसंबर, 2017 तक वीरगंज आईसीपी में परिचालन आरंभ करने के मसलों पर भी चर्चा हुई। भैरहवा और नेपालगंज में विस्तृत इंजीनियरिंग डिजाइन को शीघ्र मंजूरी दिए जाने की आवश्यकता भी मानी गई। तराई सड़कों के अंतर्गत लगभग 240 किलोमीटर की 9 सड़कों के लिए 12 पैकेजों के ठेके दिए जाने की सराहना की गई।
• मोतिहारी-अमलेखगंज पेट्रोलियम पाइपलाइन परियोजना को उच्च प्राथमिकता दी गई है। प्रधानमंत्री ने तेल एवं गैस क्षेत्रों में सहयोग पर संयुक्त कार्य समूह बनाने के निर्णय का स्वावगत किया। यह समूह (अ) मोतिहारी से अमलेखगंज तक एलपीजी पाइपलाइन के निर्माण, (आ) गोरखपुर से सुनवल तक राष्ट्रीय गैस पाइपलाइन के निर्माण, (इ) पेट्रोलियम उत्पादों की पाइपलाइन का विस्तार नेपाल के अमलेखगंज से चितवन तक अमलेखगंज से नेपाल में चितवन तक करने के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड की सहायता जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर विचार करेगा।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने नेपाल की तत्काल रुचि वाली निम्नलिखित परियोजनाओं पर द्विपक्षीय रूप से एक साथ चलने की संभावना और व्यावहारिकता पर भी चर्चा कीः-

• कुशीनगर-लुंबिनी-कपिलवस्तु और बर्दिबास-वीरगंज रेलवे।
• वीरगंज-पथलैया-नारायणघाट और बुटवल-पोखरा सड़कों का एक्सप्रेसवे में उन्नयन।
• निजगढ़ में अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा।
• महाकाली नदी के ऊपर मोटर गाड़ियां चलाने योग्य पुल।
• वीरगंज-रक्सौल सीमा पर मैत्री पुल।
• दोधारा चांदनी में शुष्क बंदरगाह का विकास।
• नेपाल में विशेष आर्थिक क्षेत्र का विकास।
• 132 केवी की नई पारेषण लाइन की स्थापना।
• बुटवल(नेपाल)-गोरखपुर (भारत) सीमा पार पारेषण लाइन।
• लुमकी (नेपाल)-बरेली (भारत) सीमा पार पारेषण लाइन
• मुजफ्फरपुर-ढलकेबार, कटैया कुशहा और रक्सौल-परवानीपुर सीमा पार बिजली लाइनों का परिचालन सफलता से आरंभ किए जाने की सराहना की गई। इस बात पर सहमति बनी कि दोनों पक्ष 2014 में हुए बिजली व्यापार समझौते के सभी पहलुओं का परिचालन करने के लिए कदम उठाएंगे।
• दोनों पक्षों ने 2035 तक के लिए सीमा पार इंटरकनेक्शन हेतु मास्टर प्लान तैयार करने में दोनों पक्षों के प्रयासों की सराहना की।
• स्वास्थ्य क्षेत्र में भारत ने 157 परियोजनाएं चिह्नित की हैं। ये उपाय निश्चित रूप से हमारे द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में बड़ी भूमिका निभाएंगी।
• पंचेश्वर बहूद्देशीय परियोजना का पूर्ण होना प्रधानमंत्रियों के एजेंडा में काफी ऊपर रहा। प्रधानमंत्री देउबा ने 900 मेगावाट की अरुण-3 और ऊपरी करनाली जलविद्युत परियोजना से संबंधित सभी लंबित मुद्दों को प्राथमिकता के साथ सुलझाने की नेपाल की प्रतिबद्धता दोहराई। भारत ने भी टनकपुर बैराज से नेपाल की भूमि तक हेड रेगुलेटर और संपर्क नहर के निर्माण हेतु विस्तृत परियोजना रिपोर्ट को अंतिम रूप दिए जाने की सूचना दी। सप्तकोशी नदी पर ऊंचा बांध बनाए जाने के विचार पर कुछ आपत्तियां जताई गईं। यह माना गया कि प्रस्तावित मेगा परियोजना के सभी पहलुओं का विस्तार से अध्ययन होना चाहिए।
• अंतरिक्ष क्षेत्र में क्षेत्रीय सहयोग के अनुपम उदाहरण दक्षिण एशिया उपग्रह के सफल प्रक्षेपण का दोनों पक्षों ने स्वागत किया। यह कार्यक्रम दूरसंचार एवं प्रसारण, दूर-चिकित्सा, दूर-शिक्षा, ई-प्रशासन, बैंकिंग एवं एटीएम सेवाओं, मौसम संबंधी सूचना के पारेषण, आपदा प्रतिक्रिया एवं शैक्षिक तथा शोध संस्थाओं के क्षेत्र में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी प्रयोगों के जरिये क्षेत्र के लोगों के जीवन को छुएगा।

प्रधानमंत्री मोदी और देउबा ने द्विपक्षीय व्यापार एवं निवेश की पूरी क्षमता का उपयोग करने के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने अनधिकृत व्यापार पर नियंत्रण करने के लिए भारत-नेपाल व्यापार संधि और भारत सरकार तथा नेपाल सरकार के बीच हुए समझौते का अक्टूबर, 2016 में सात वर्ष के लिए नवीकरण कराए जाने का स्वागत किया। नेपाली पक्ष ने भारत के साथ बढ़ते अपने व्यापार घाटे पर चिंता जताई। द्विपक्षीय व्यापार के वर्तमान स्तर का ध्यान रखते हुए दोनों प्रधानमंत्रियों ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने की संभावना रेखांकित की। बुनियादी ढांचे की कमी तथा व्यापार पर रोक लगाने वाले उपायों के मुद्दे को सुलझाने एवं कृषि तथा औद्योगिक उत्पादों को बाजार तक आसानी से पहुंचाने के लिए व्यापार सुगमता के उपाय अपनाने से द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाया जा सकता है। इस तरह भारत सरकार तथा नेपाली सरकार ने धनगढ़ी-गौरीफंटा, गुलेरिया-मुर्थिया, जतही-पिपरौन और पशुपतिनगर-सुखियापोखरी के व्यापार बिंदुओं का जल्द उन्नयन करने एवं उनका परिचालन आरंभ करने के लिए कदम उठाने पर सहमति जताई। दोनों पक्ष इस बात पर भी सहमत हो गए कि भारत में वस्तु एवं सेवा कर के क्रियान्वयन से द्विपक्षीय एवं पारगमन (ट्रांजिट) व्यापार पर पड़ने वाले प्रभाव से जुड़े मसलों की जल्द पड़ताल की जाएगी। दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत से नेपाल तक प्रत्यक्ष निवेश के और भी रास्तों की आवश्यकता पर जोर दिया।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने बीपी कोइराला इंडिया-नेपाल फाउंडेशन द्वारा किए गए योगदान की सराहना की, जिसने अपनी स्थापना के 25 वर्ष दिसंबर, 2016 में सफलतापूर्वक पूरे किए। उसी संदर्भ में दोनों प्रधानमंत्रियों ने बिम्सटेक और दक्षेस समेत क्षेत्रीय एवं उपक्षेत्रीय स्तर पर सहयोग के लाभों पर जोर दिया। बिम्सटेक के वर्तमान अध्यक्ष के तौर पर नेपाल के प्रधानमंत्री ने ब्रिक्स-बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के साथ अक्टूबर, 2016 में गोवा में बिम्सटेक नेताओं के लिए रिट्रीट की मेजबानी के लिए भारत के प्रधानमंत्री का धन्यवाद किया। नेपाल ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत के दावे को अपना समर्थन दोहराया।

अंत में आतंकवाद को क्षेत्र में शांति तथा स्थायित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा मानते हुए दोनों प्रधानमंत्रियों ने आतंकवाद के सभी स्वरूपों का मुकाबला करने की अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर संयुक्त राष्ट्र महासभा की समग्र संधि को शीघ्र अंतिम रूप देने और स्वीकार करने का आह्वान भी किया।

प्रधानमंत्री देउबा की यात्रा के दौरान हुए सझौते एवं सहमति पत्र इस प्रकार हैं:-

• 50,000 मकानों के पुनर्निर्माण में सहायता के लिए भारत के आवास अनुदान अंश के उपयोग हेतु तरीकों पर सहमति पत्र।
• नेपाल में भूकंप के बाद शिक्षा क्षेत्र में पुनर्निर्माण के लिए भारत द्वारा दिए गए पैकेज में से अनुदान के अंश के क्रियान्वयन पर सहमति पत्र।
• नेपाल में भूकंप के बाद सांस्कृतिक धरोहर के क्षेत्र में पुनर्निर्माण के लिए भारत द्वारा दिए गए पैकेज में से अनुदान के अंश के क्रियान्वयन पर सहमति पत्र।
• नेपाल में भूकंप के बाद स्वास्थ्य क्षेत्र में पुनर्निर्माण के लिए भारत द्वारा दिए गए पैकेज में से अनुदान के अंश के क्रियान्वयन पर सहमति पत्र।
• भारतीय मानक ब्यूरो और नेपाल मानक एवं मौसम विज्ञान ब्यूरो के बीच सहयोग का समझौता।
• मादक पदार्थों की मांग में कमी तथा नशीली दवाओं एवं नशीले पदार्थों तथा अग्रगामी रसायन एवं संबंधित मामलों पर रोक लगाने के लिए सहमति पत्र।
• मेची पुल के निर्माण का सहमति पत्र।
• भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान ओर नेपाल सनदी लेखाकार संस्थान के बीच सहमति पत्र।

निष्कर्षः प्रधानमंत्री देउबा की यात्रा बहुत महत्वपूर्ण रही क्योंकि इसमें बदला हुआ राजनीतिक संदर्भ दिखाई दिया। भारत सरकार और नेपाल सरकार ने नेपाल को सुगमता से लोकतंत्र की ओर ले जाने के लिए लोकतांत्रिक संस्थाओं की मजबूती को आवश्यक बताया। लोकतांत्रिक संस्थाओं को नेपाल ही नहीं बल्कि क्षेत्रीय स्तर पर भी शांति, विकास तथा संपन्नता के लिए आवश्यक शर्त माना जाता है। इसलिए नेपाल की स्थिति को देखते हुए भारत आगामी चुनावों में लोकतांत्रिक दृष्टिकोण वाली पार्टियों तथा उनसे संबंधित सिद्धांतों एवं विचारधारा को मजबूत होते देखना चाहेगा। किसी अन्य विचारधारा की जीत का मतलब समतामूलक सिद्धांतों की पराजय ही नहीं होगा बल्कि उससे ऐसी ताकतें मजबूत हो सकती हैं, जो संभवतः मित्रवत नहीं होंगी। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने, पारस्परिक संवेदनशीलता को पर्याप्त स्थान देने, द्विपक्षीय परियोजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन में आड़े आने वाले प्रक्रियागत विलंब दूर करने के उपायों की प्रतिबद्धता जताई। कुल मिलाकर वायदों के मुताबिक कार्य पूरे करने के महत्वपूर्ण पक्ष पर ध्यान केंद्रित होता दिख रहा है। दक्षिण एशिया की भू-राजनीति को परिवर्तन करने के लिए बनाए गए बेल्ट रोड कार्यक्रम के अंतर्गत चीन की विशाल योजनाओं के संदर्भ में यह बहुत महत्वपूर्ण है।

प्रधानमंत्री देउबा की यात्रा के समय का महत्व नजरअंदाज करना भी असंभव है क्योंकि यह यात्रा डोकलम पर जारी विवाद के बीच हुई थी। देउबा की यात्रा से हमारे रिश्ते दुरुस्त करने का मौका भी मिला, जो मधेसियों के बंद के कारण 2015 के बाद बिगड़ गए थे। मधेसियों का तत्कालीन सरकार राजनीतिक शोषण कर रही थी और उनके आंदोलन के कारण द्विपक्षीय रिश्ते खराब हो गए थे। विश्लेषकों को लगता है कि दोनों नेताओं की मुलाकात नेपाल को शांतिपूर्ण तरीके से समावेशी लोकतंत्र की ओर ले जाने के लिए होने वाले चुनावों की वर्तमान प्रक्रिया में सकारात्मक योगदान करेगी।


Translated by: Shiwanand Dwivedi (Original Article in English)
Image Source: http://www.newindianexpress.com/world/2017/aug/23/international-ties-not-a-zero-sum-game-china-on-nepal-pms-india-trip-1647227.html

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