क्या केवल हिन्दू या मुस्लिम शब्द हटाने से केन्द्रीय विश्वविद्यालय की कार्य प्रणाली में सुधार आ सकता है
कर्नल शिवदान सिंह

आज मीडिया में खबर आयी कि देश में उच्च शिक्षा को नियंत्रित करने के लिए गठित की गयी शीर्षतम संस्था यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने केन्द्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सिफारिश भेजी है कि अलीगढ़ मुस्लिम तथा बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय आदि के नामों से हिन्दू तथा मुस्लिम शब्द हटा लिया जाये जिसमें इनका स्वरूप बेहतर किया जा सके। यूजीसी ने ये सिफारिश उसके द्वारा गठित विशेषज्ञों की एक कमेटी की सिफारिशों के आधार पर की है। इस कमेटी से देश के केन्द्रीय विश्वविद्यालयों की कार्य प्रणाली तथा इनकी आज के समय में प्रासंगिकता के बारे में रिपोर्ट देने के बारे में कहा गया था।

इस कमेटी ने देश के सब केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में जाकर स्वयं देखा तथा इसने पाया कि जिस उद्देश्य तथा कार्यशैली के लिए इनका निर्माण किया गया था वह इनमें कहीं नजर नहीं आता। इसलिए कमेटी ने इनके पाठ्यक्रम, इनमें प्रवेश, कैम्पसों पर होने वाली राजनैतिक गतिविधियां तथा देश के लिए समय के अनुसार तर्कसंगत शोध इत्यादि के न होने के बारे में एक व्यापक रिपोर्ट यूजीसी को सौंपी है। परन्तु यूजीसी ने भी देश के राजनैतिक दलों की तरह जैसे वे देश की सब समस्याओं एवं विकास के मुद्दों को दरकिनार करके केवल साम्प्रदायिकता तथा जातपात के आधार पर वोट मांग कर सत्ता प्राप्ति की कोशिश करते हैं। उसी प्रकार यूजीसी ने भी विश्वविद्यालयों की कार्यप्रणाली को सुधारने के लिए कमैटी द्वारा सुझाव मुद्दों के स्थान पर केवल नाम बदलकर अपनी जिम्मेवारी की भरपायी करने की सोची थी। यूजीसी के इसी प्रकार के रवैये के कारण आज देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की कल्पनाओं -मानवता का विकास तथा सत्य की खोज पर आधारित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय इन कल्पनाओं के अलावा अन्य कारणों जैसे कश्मीर तथा बस्तर की आजादी जैसी देश विरोधी गतिविधियों के लिए ज्यादा जानी जाती है।

पंडित मदन मोहन मालवीय ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना भारतीय संस्कृति के विकास तथा भारत को विश्व गुरू बनाने की कल्पना से की थी परन्तु उसी विश्वविद्यालय में भारतीय संस्कृति के विरूद्ध छात्राओं से लम्बे समय से र्दुव्यवहार तथा छेड़छाड़ चली आ रही है जिसकी विश्वविद्यालय प्रशासन न कोई सुनवाई नहीं की। परेशान होकर जब छात्राओं ने विश्वविद्यालय प्रशासन का ध्यान खींचने के लिए धरना प्रदर्शन किया तो उन पर पुलिस की लाठियां बरसायीं गयीं। इस पर राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने अपनी रिपोर्ट में इस अव्यवस्था तथा छात्राओं से छेड़छाड़ की अनदेखी तथा पुलिस की कार्यवाही के लिए सीधे तौर पर विश्वविद्यालय के वीसी जी0सी0 त्रिपाठी को जिम्मेवार ठहराया है।

इसी प्रकार हैदराबाद विश्वविद्यालय में शोध के छात्र वेमुला द्वारा आत्महत्या तथा अक्सर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में तरह तरह के विवाद यह दर्शाने के लिए काफी हैं कि देश में उच्च शिक्षा का दावा करने वाली इन केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में जिन पर देश की जनता के द्वारा अदा किये टैक्स की बड़ी रकम खर्च की जा रही है वह इस धन का सदुपयोग नहीं कर रहे है तथा निर्धारित उद्देश्यों के अनुसार मानवता के विकास तथा सत्य की खोज से कोसों दूर चले गये तथा देश विरोधी गतिविधियों का केन्द्र बनते जा रहे हैं।

यहां पर यह विचारणीय है कि केन्द्रीय विश्वविद्यालयों की तरह ही आइआइटी तथा आइआइएम संस्थान पूरे देश में कार्यरत है तब क्यों नहीं इन संस्थानों में इन केन्द्रीय विश्वविद्यालयों की तरह अव्यवस्था तथा तरह तरह की देश विरोधी तथा असामाजिक गतिविधियां होती है। इन संस्थानों में शिक्षा पाने वाले छात्रों की डिमांड पूरे विश्व में है तथा ये छात्र समाज तथा राष्ट्र के निर्माण में यथायोग्य सहयोग दे रहे हैं। इसका कारण है इन संस्थाओं का संचालन, शिक्षा प्रणाली तथा पाठ्यक्रमों का समय तथा मांग के अनुसार आधुनिक होना। इसके साथ साथ इन संस्थाओं में दाखिलों की प्रक्रिया एक पारदर्शी तरीके से राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली प्रक्रिया के अनुरूप होना। इस कारण इन संस्थानों में छात्र योग्यता के अनुरूप प्रवेश पाकर शिक्षा ग्रहण कर एक नियत समय में संस्थान छोड़कर अपने कर्मक्षेत्र में जाकर अच्छा प्लेसमैंट पाते हैं। इस प्रकार प्लेसमैंट होने से एक प्रकार से बाजार की नजर में इन संस्थानों का मूल्यांकन हर साल होता रहता है और गर्व के साथ कहा जा सकता है कि विश्व में भारतीय आइआइटी तथा आइआइएम का एक विशेष स्थान है जबकि दुनिया की रैकिंग में हमारे केन्द्रीय विश्वविद्यालयों का स्थान बहुत नीचे है। इसका कारण भी यूजीसी की समीक्षा कमेटी ने विस्तार से दिए हैं। कमेटी के अनुसार विश्वविद्यालयों में पूरे देश के छात्रों के स्थान पर केवल क्षेत्र विशेष के छात्र ही ज्यादा प्रवेश पाते हैं जैसे कि जेएनयू में ज्यादातर बिहार तथा उड़ीसा के छात्रों का बोलवाला है। इसके अलावा सामाजिक विषयों जैसे इतिहास, राजनीतिशास्त्र तथा समाजशास्त्र इत्यादि के पाठ्यक्रमों का समय अनुसार ना तो इनमें बदलाव किया गया और ना ही इनमें शोध कार्य ही समाज तथा देश की ज्वलंत समस्याओं पर किये जा रहे हैं। इसके अलावा इनमें किये जाने वाले होने वाले शोध कार्यों की क्रमबद्ध तरीके से निगरानी नहीं हो रही है जिस कारण अक्सर शोध करने वाले छात्र 3 वर्षों में होने वाले शोध को कभी 6-6 साल तक खींच ले जाते हैं तथा विश्वविद्यालयों के हॉस्टलों में रहकर तरह तरह की असामाजिक तथा देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त पाये जाते हैं जैसाकि जेएनयू तथा बीएचयू में देखने में आया है। अपने शोध कार्य की अवधि बढ़ाने का इनका लक्ष्य होता है इनको मिलने वाली छात्रवृत्ति तथा दिल्ली तथा बनारस जैसे शहरों में रहने के लिए सब सुविधाओं से युक्त हॉस्टलों के कमरे। इनके लम्बे रहने तथा शिक्षा का कोई दबाव न होने के कारण ये अतिरिक्त समय में विश्वविद्यालय के बाहर असामाजिक तत्वों से संबंध बनाकर विश्वविद्यालय प्रशासन पर अपना दबाव बनाते हैं तथा देश विरोधी तथा असामाजिक गतिविधियों को कैम्पसों पर चलाते जैसा जे0एन0यू0 में देखा गया है।

इस प्रकार के छात्रों पर राजनैतिक दलों तथा देश विरोधी तत्वों की नजर भी होती है। जिन केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में देश के लिए योग्य वैज्ञानिक, शिक्षाविद समाजशास्त्री तथा अन्य समाजयोगी विद्धान उत्पन्न करने की जिम्मेदारी है। वहां से समाज को तथा देश को तोड़ने वाले नौजवान निकल रहे हैं। इसका मुख्य कारण है इन संस्थाओं का समयानुसार ऑकलन तथा इनको संचालित करने के लिए किसी राष्ट्रीय नीति का न होना है जिसके कारण न तो इन शिक्षा संस्थाओं ने अपने पाठ्यक्रम को और ना ही प्रबंधनन व्यवस्था को इस प्रकार बनाया जहां पर भारतीय मूल्यों के अनुरूप तथा देश की जरूरतों के अनुसार शिक्षा दी जा सके। इसी का परिणाम है कि बीएचयू, जेएनयू तथा एमयू में असामाजिक तत्वों की पहुंच है जिसके कारण बीएचयू में छात्राओं से छेड़छाड़ काफी दिनों से चली आ रही है। अभी कुछ समय पहले जेएनयू के पुरूष छात्रावास में रात्रि के 12 बजे 14 लड़कियां पायीं गयीं जो जे0एन0यू0 के प्रबंधनन के निकम्मेपन की निशानी है। हर राष्ट्र का भविष्य उसकी नयी पीढ़ी होती है और इस नयी पीढ़ी को इस प्रकार की शिक्षा व्यवस्था कहां पहुंचायेगी, यह कल्पना से परे है। इस प्रकार के माहौल में शिक्षा पाकर ये नौजवान देश में अव्यवस्था, हिंसा तथा भृष्टाचार को बढ़ावा देते हैं और इस प्रकार देश का राष्ट्रीय चरित्र तथा प्रतिष्ठा दोनों को भारी क्षति पहुंचाती है। इसी कारण आज चारो तरफ देश में अव्यवस्था तथा भ्रष्टाचार का बोलबाला है।

उच्च शिक्षा के क्षेत्र में इन केन्द्रीय विश्वविद्यालयों का विशिष्ठ स्थान था परन्तु इनके संचालन तथा नियंत्रण के लिए कोई ठोस नीति न होने के कारण दिन पर दिन इनके अंदर शिक्षा का स्तर गिरने के साथ साथ ये राजनैतिक दलों की गतिविधियों का केन्द्र बनते चले गये। अभी अभी प्रधानमंत्री मोदी जी ने बिहार की पटना यूनिवर्सिटी में अपने भाषण में कहा था कि इस समय विश्व की 500 शीर्ष यूनिवर्सिटयों में भारतीय यूनीवर्सिटयों का स्थान बहुत निचले स्तर पर है। जो बड़े दुख की बात है। इसलिए प्रधानमंत्री ने इसका स्तर सुधारने के लिए 10000 करोड़ की राशि की घोषणा यूनिवर्सिटयों का स्तर सुधारने के लिए पटना में की है। जैसाकि मोदी सरकार हर क्षेत्र में नयी पहल कर रही है इसलिए सरकार को चाहिए कि उच्च शिक्षा के केन्द्र इन विश्वविद्यालयों के हालातों को सुधारने की दिशा में भी ठोस कदम उठाये। इसके लिए यूजीसी द्वारा गठित विशेषज्ञों की कमेटी की रिपोर्ट एक आधार का काम कर सकती है। सरकार को इस पर एक राष्ट्रीय बहस तथा देश के प्रसिद्ध शिक्षाविदों तथा समाजशात्रियों की राय लेकर इन विश्वविद्यालयों के लिए उसी प्रकार की नीति बनानी चाहिए जैसी कि आइआइटी तथा आइआइएम जैसे केन्द्रीय संस्थानों के लिए है। यदि ये संस्थान सुधरेंगे तो देश को ईमानदार नौकरशाह, शिक्षाविद, समाजशात्री तथा देश को जोड़ने वाली युवा पीढ़ी मिलेगी। इस प्रकार पूरे देश का राष्ट्रीय चरित्र सुधरेगा तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा भी बढ़ेगी और आइआइटी एवं आइआइएम की तरह ही विदेशी छात्र देश के इन संस्थानों में शिक्षा के लिए आयेंगे और इस प्रकार एक नये भारत का उदय होकर उसे विश्व गुरू का सम्मान प्राप्त होगा।

संदर्भ :-

1. प्रधानमंत्री का पटना यूनिवर्सिटी में दिया भाषण।
2. यूजीसी द्वारा मानव संसाधन मंत्रालय को बी0एच0यू0 तथा ए0एम0यू0 का नाम बदलने के लिए भेजा प्रस्ताव।
3. यू0जी0सी0 द्वारा गठित केन्द्रीय यूनिवर्सिटयों की कार्य प्रणाली का आकलन करने के लिए गठित विशेषज्ञों की कमैटी की रिपोर्ट।

(Views expressed are of the author and do not necessarily reflect the views of the VIF)


Image Source:
http://images.newindianexpress.com/uploads/user/imagelibrary/2017/9/25/original/NSUI2.jpg

Post new comment

The content of this field is kept private and will not be shown publicly.
7 + 0 =
Solve this simple math problem and enter the result. E.g. for 1+3, enter 4.
Contact Us