घूसखोरी और काले धन के खिलाफ मोदी का साहसिक संग्राम
S Gurumurthy, Chairman, VIF

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1,000 रुपये और 500 रुपये के नोटों की कानूनी मान्यता 8 नवंबर, 2016 की आधी रात से खत्म होने की जो हैरत में डालने वाली घोषणा की, वह दशकों से भारतीय अर्थव्यवस्था को घुन की तरह चाट रहे काले धन के अभिशाप पर सबसे हिम्मत भरा हमला है। इस कदम को हरेक स्तर पर गोपनीय रखना था और सरकार इस बात के लिए बधाई की पात्र है कि विभिन्न स्तरों पर सलाह-मशविरे के बावजूद गोपनीयता सुनिश्चित की गई। अब कुछ आंकड़ों पर नजर डालिए।

जनता के पास अब लगभग 16 लाख करोड़ रुपये की कुल मुद्रा है। 2006 में यह 4 लाख करोड़ रुपये से कुछ ही अधिक थी। हाल के वर्षों में लोगों के पास नकदी जबरदस्त तरीके से बढ़ी है। जो मुद्रा बाजार में है, उसमें बड़ी कीमत वाले दो नोटों का अनुपात 85 प्रतिशत से भी अधिक है। इसका मतलब है कि 1,000 और 500 रुपये के नोटों की कीमत 13.5 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक है। बड़े नोटों के जरिये नकद अर्थव्यवस्था में असामान्य बढ़ोतरी की वजह हैं, रियल एस्टेट में काला धन, सोने की जमाखोरी, घूसखोरी और भ्रष्टाचार। बड़े नोटों के कारण हवाला लेनदेन समेत रकम भारत से बाहर भेजने का अवैध करोबार तो आसान होता ही है, कानूनी तरीके से चलने वाले कारोबारों में भी ये कर चोरी का कारण बनते हैं। बड़े नोटों के कारण घूसखोरों के लिए भी मोटी रिश्वत लेना और रखना आसान हो गया है। काले धन के खिलाफ मोदी के हथियार की सबसे बड़ी मार भ्रष्ट लोगों पर पड़ी है, विशेषकर सियासी हलके और नौकरशाही पर, जिसमें भ्रष्टाचार वाला सबसे ज्यादा धन होता है। उन्होंने घूसखोरी और काले धन दोनों पर करारी चोट की है।

ऐसा नहीं है कि जिनके पास 1,000 रुपये और 500 रुपये के नोट हैं, उनकी वह सारी रकम डूब जाएगी, जो इन दोनों नोटों की शक्ल में उनके पास है। उन्हें दोनों बड़े नोट बैंकों और डाकघरों में जमा कराने होंगे। ऐसा करने के लिए उनके पास 31 दिसंबर, 2016 तक का वक्त होगा। प्रधानमंत्री ने कहा है कि दोनों बड़े नोटों की शक्ल में लोगों के पास जो धन है, वह उनका ही रहेगा और उनसे छिनेगा नहीं - वास्तव में इन दोनों नोटों के रूप में जो भी नकद उनके पास है, वह उनके नाम से बैंक खातों में जमा हो जाएगा। लेकिन जिनके पास ये दोनों नोट होंगे, वे उसे 8 नवंबर की मध्यरात्रि के बाद मुद्रा के रूप में इस्तेमाल नहीं कर सकते। जिन लोगों के पास कम मात्रा में और कानूनी तरीके से कमाई रकम है, उन पर कोई असर नहीं होगा। किंतु उन डकैतों का क्या होगा, जिनके पास 500 और 1,000 के नोट बोरियों में भरे रखे हैं और जो उन्हें बैंकों में जमा कराने जाएंगे? अगर उनके पास काला धन होगा तो उन्हें कर चुकाना होगा। अगर सरकार इन धोखेबाजों से लाखों-करोड़ों रुपये का कर वसूल लेती है तो अचरज नहीं होगा। जिन भ्रष्ट लोगों के पास नकदी के ढेर हैं, उन्हें उससे हाथ धोना होगा क्योंकि वे उसे न तो अपने नाम से जमा कर सकते हैं और न ही अपने सगे-संबंधियों के नाम से।

यह काले धन पर सर्जिकल स्ट्राइक भर नहीं है। यह राष्ट्रीय सुरक्षा बरकरार रखने का महत्वपूर्ण उपाय भी है क्योंकि जो बड़े नोट चलन में हैं, उनमें आईएसआई द्वारा छापे गए नकली नोटों की तादाद बहुत ज्यादा है और अब वे सब खाक हो जाएंगे। कोई भी उन नोटों को जमा नहीं कर पाएगा और उनके बदले असली नोट हासिल नहीं कर पाएगा। जी हां, जैसा कि प्रधानमंत्री ने कहा, नकदी का रोजाना इस्तेमाल करने वाले लोगों, कारोबारियों और अन्य वर्गों को कुछ दिन तक इससे परेशानी होगी, लेकिन काले धन के खिलाफ इतने बड़े राष्ट्रीय प्रयास के सामने यह कीमत बहुत छोटी है। भारत की अर्थव्यवस्था का बहुत बड़ा हिस्सा नकद लेनदेन का है, इसे देखते हुए यह फैसला लेना और इसे अमली जामा पहनाना आसान नहीं था।

इस लड़ाई का नुकसान भी है। कुछ समय के लिए नकदी की कमी होगी क्योंकि अर्थव्यवस्था का नकदी वाला बड़ा हिस्सा बेकार हो जाएगा और कुछ महीनों तक ऐसा ही रहेगा। इसका अर्थ है कि फिलहाल खपत, कार्यशील पूंजी और निवेश में काम आने वाला धन कम हो जाएगा। सरकार को इस कमी की भरपाई फौरन करनी चाहिए। इसका एक तरीका यह सुनिश्चित करना है कि जो लोग बैंक खातों में 2.5 लाख रुपये तक जमा करें, आयकर विभाग उनकी बात पर भरोसा कर ले। इससे यह सुनिश्चित होगा कि दो पक्षों के बीच होने वाले ऐसे सौदे, जिसमें दोनों पक्ष पुराने बड़े नोटों का लेनदेन करने के लिए राजी हों, होते रहें ताकि वैध कारोबारी लेनदेन चलते रहें। सरकार को उन लोगों के लिए माफी की योजना भी लानी चाहिए, जिनके पास बड़े नोटों की शक्ल में काला धन है ताकि उस रकम को वापस प्रचलन में लाया जा सके। जमा की गई रकम की निकासी पर सीमाएं भी खत्म कर दी जानी चाहिए ताकि नकद अर्थव्यवस्था चलती रहे। उम्मीद है कि वह काली अर्थव्यवस्था में तब्दील नहीं होगी और उस नैनो प्रौद्योगिकी के जरिये सुनिश्चित किया जा सकता है, जो पुराने नोटों की जगह लेने वाले नए नोट छापने में इस्तेमाल की गई है। इस प्रौद्योगिकी के कारण नोटों का पता लगाया जा सकता है।

ऐसा अभूतपूर्व और बेहद जोखिम भरा राजनीतिक निर्णय लेने के लिए पूरे देश को प्रधानमंत्री का अभिनंदन करना चाहिए क्योंकि यह भ्रष्टाचार और काले धन पर चोट करने वाला, राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने वाला तथा पूंजी को हवाला के जरिये देश से बाहर जाने से रोकने वाला बहुस्तरीय प्रयास है।

मोदी ने निस्संदेह एक ही झटके में यह साबित कर दिया है कि वह भ्रष्टाचार और काली अर्थव्यवस्था दोनों के खिलाफ काम करना चाहते हैं।


Translated by: Shiwanand Dwivedi (Original Article in English)
Published Date: 18th November 2016, Image Source: http://odishatv.in

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