उइगर समस्याः चीन सरकार को चिंता क्यों?
Dr Teshu Singh

शिनचियांग उइगर स्वायत्तशासी क्षेत्र मुख्य रूप से उइगर समस्या तथा केंद्र सरकार के साथ उनके टकराव के कारण चीन के लिए संवेदनशील क्षेत्र बन गया है। यह लेख उइगरों के इतिहास तथा चीन सरकार के साथ उनके मोहभंग के कारणों की संक्षेप में पड़ताल करेगा।

कौन हैं उइगर?

उइगर मूल रूप से तुर्की के हैं, जो इस्लाम को मानते हैं। वे अपनी भाषा (उइगर) के आधार पर जाने जाते हैं। वास्तव में इस्लाम उनकी उइगर पहचान का सबसे महत्वपूर्ण प्रतीक है। उइगर शब्द का अर्थ है “एकजुट” अथवा “साथ-साथ”। ऐतिहासिक रूप से उइगर चीन की अपेक्षा मध्य एशियाई देशों के तुर्कों से अधिक मिलते-जुलते रहे हैं। पूर्वी तुर्किस्तान के साथ उनका 4000 वर्ष का साझा इतिहास है। पूर्वी तुर्किस्तान मध्य एशिया का हिस्सा था, चीन का नहीं। वह तुर्की भाषा बोलने वाले उइगरों तथा कजाक, किर्गिज, तातार, उज्बेक और ताजिक जैसी अन्य मध्य एशियाई जातियों की भूमि रहा है।

यह क्षेत्र 18वीं शताब्दी में ही चिंग वंश का हिस्सा बन पाया। 1884 में चिंग के दरबार ने यह महत्वपूर्ण फैसला लिया कि क्षेत्र में प्रदेश की व्यवस्था स्थापित की जानी चाहिए और उसका नाम “शिनचियांग” रखा, जिसका अर्थ है “पुराना क्षेत्र फिर हासिल किया”। इस काल के बाद धीरे-धीरे उइगरों की संस्कृति एवं पहचान गुम होने लगी। प्रदेश के अंतर्गत चार जिले बनाए गएः झेंगदी, अक्सू, कशगर और यिली - तरबहताई। राजनीतिक केंद्र को यिली से हटाकर दिहुआ (वर्तमान उरुमची) में पहुंचा दिया गया। 1911 की क्रांति के बाद राष्ट्रवादी चीनी सरकार ने सत्ता संभाल ली और पूर्वी तुर्किस्तान पर उसका शासन हो गया। चीन में अशांति के बीच उइगर, जो विदेशी शासन के खिलाफ थे, ने 1933 और 1944 में पूर्वी तुर्किस्तान गणराज्य की स्थापना का प्रयास किया। 1933 के बाद कशगर शहर में पूर्वी तुर्किस्तान के स्वतंत्र गणराज्य की घोषणा की गई किंतु बाद में उस पर लड़ाकू सरदारों का कब्जा हो गया। 1944 से 1949 के बीच सोवियत संघ के समर्थन से दूसरी बार पूर्वी तुर्किस्तान गणराज्य की घोषणा की गई। 1949 में चीनी जनवादी गणराज्य (पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना) की स्थापना हुई ओर केंद्र सरकार ने शिनचियांग में क्षेत्रीय राष्ट्रीय स्वायत्तशासी व्यवस्था स्थापित करने का फैसला लिया ओर 1 अक्टूबर, 1955 को शिनचियांग उइगर स्वायत्तशासी क्षेत्र की बुनियाद रखी गई। उसके बाद से शिनचियांग ने नए दौर में कदम रख दिया।

चीन सरकार के साथ समस्या

शिनचियांग उइगर स्वायत्तशासी क्षेत्र की स्थापना के उपरांत उइगर आबादी को केंद्र सरकार में शामिल करने पर अधिक ध्यान नहीं दिया गया। 1978 में देंग श्याओपिंग ने आर्थिक आधुनिकीकरण की प्रक्रिया आरंभ की। परिणामस्वरूप तटवर्ती क्षेत्र के निकट होने के कारण चीन के पूर्वी क्षेत्र का देश के पश्चिमी क्षेत्र की तुलना में तेज विकास हुआ। आधुनिकीकरण के लाभ देने के लिए चीन सरकार ने “पश्चिम के करीब जाने” के अपने कार्यक्रम के तहत पश्चिमी विकास रणनीति आरंभ की। अन्य कई नीतियों के बीच चीन सरकार ने हान चीनियों को भारी संख्या में शिनचियांग क्षेत्र में बसने के लिए प्रोत्साहित भी किया। इससे उइगर अपने ही घर में अजनबी बनने लगे। क्षेत्र में हान जनसंख्या 1949 के 6.7 प्रतिशत से बढ़कर 2008 में 40 प्रतिशत तक पहुंच गई। क्षेत्र में रहने वाले हान समुदाय को विशेष अधिकार तथा सुविधाएं प्राप्त हैं और उन्हें उइगरों की अपेक्षा अधिक आर्थिक लाभ भी मिले। जल्द ही उइगर स्वयं को अलग-थलग महसूस करने लगे और स्वयं को चीन के पश्चिमी आधुनिकीकरण का सबसे बड़ा शिकार मानने लगे।

नौकरियों में उइगरों के साथ भेदभाव, उनकी गरीबी और उइगरों की अनूठी पहचान को खत्म करने की केंद्र सरकार की योजनाओं ने इस भावना को और भी भड़का दिया। वे अक्सर शिकायत करते हैं कि उनकी भाषा तथा परंपराओं की पर्याप्त सुरक्षा नहीं की जा रही है। उनके धार्मिक संस्कारों पर भी प्रतिबंध थे। सरकार की सभी पहलें एक प्रकार से क्षेत्र की उइगर आबादी के खिलाफ गई हैं। इस प्रकार शिनचियांग में उइगर असंतोष काफी समय से बढऋ रहा है। परिणामस्वरूप उन्होंने हिंसा का सहारा लिया है।

ह्यूमन राइट्स वाच और एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसे मानवाधिकार संगठनों ने शिनचियांग में बिगड़ती स्थिति पर चिंता जताई है। किंतु चीन शिनचियांग में मानवाधिकार के हनन से इनकार करता है।

वर्ष 1990 से 2001 के बीच 200 हमले हुए हैं, जिनमें 162 लोगों की मौत हुई हैं और 440 घायल हुए हैं। 2008 के पेइचिंग ओलंपिक खेलों पर भी इन हमलों का प्रभाव पड़ा था। उइगर समस्या को उसी समय दुनिया भर ने जाना था। ग्वांगदोंग प्रांत में दो उइगर कामगारों की हत्या ने जातीय तनाव बढ़ा दिया था। जुलाई 2009 में उरुमची में हान तथा उइगर समुदायों के बीच जातीय तनाव हुआ। उसके बाद से कई हिंसक झड़पें हो चुकी हैं। मई 2012 में लगभग 200 उइगरों ने अपनी समस्या पर चर्चा के लिए जापान में पांच दिन की बैठक की थी। जून 2012 में छह उइगरों ने होतान से उरुमची जा रहे विमान का अपहरण करने का प्रयास किया। अप्रैल 2013 में कशगर शहर के बाहर पुलिसकर्मियों और उइगरों के बीच जानलेवा झड़प हुई। तीन स्थानीय अधिकारियों ने चाकू रखने वाले व्यक्तियों के संदिग्ध गुट की खबर दी। मार्च 2014 में एक बार फिर कनमिंग में हमला हुआ। किसी भी गुट ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली, लेकिन बाद में पता चला कि उसमें उइगरों का हाथ था। विद्रोह और हमलों का यह सिलसिला दिखाता है कि उइगरों में व्यवस्था के विरुद्ध असंतोष कितना बढ़ रहा है।

उइगर समुदाय और स्थानीय सरकार के बीच इन टकरावों के अलावा उनकी धार्मिक गतिविधियों पर भी रोक लगाई गईं। शिनचियांग के स्थानीय प्रशासन ने 2015 में रमजान पर उइगर के प्रशासनिक अधिकारियों तथा छात्रों के रोजा रखने पर प्रतिबंध लगा दिया था और 18 वर्ष से कम उम्र वाले उइगरों के मस्जिद जाने पर भी रोक लगा दी थी। उइगर को अपनी ही धरती पर अलग-थलग किए जाने तथा सभी उइगरों को एक ही चश्मे (अलगाववादी) से देखे जाने के कारण उइगर अपनी सभी समस्याएं सुलझाने के लिए एक मंच बनाने पर विशश हो गए। उइगरों के हित के लिए संघर्ष करने वाले दो प्रमुख गुट हैं ईस्ट तुर्किस्तान लिबरेशन मूवमेंट और वर्ल्ड उइगर कांग्रेस (जर्मनी)। डोलकन ईसा (उइगर मूल के जर्मन नागरिक) वर्ल्ड उइगर कांग्रेस के कार्यकारी चेयमैन हैं। वह उइगर नागरिकों तथा उनके मानवाधिकारों का समर्थन करते हैं। 1990 के दशक में गठित ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट का नाम बदलकर अब तुर्किस्तान इस्लामिक पार्टी कर दिया गया है। ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट को तुर्किस्तान इस्लामिक पार्टी, ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक पार्टी, ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक पार्टी ऑफ अल्लाह तथा ईस्ट तुर्किस्तान नेशनल रिवॉल्यूशन असोसिएशन के साथ जुड़ा हुआ माना जाता है। यह समूह चीन के भीतर स्वतंत्र एवं इस्लामपरस्त “पूर्वी तुर्किस्तान“ राज्य की स्थापना के लिए लड़ रहा है। ऐसी खबरें हैं कि ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट तुर्की, कजाकस्तान, किर्गिजस्तान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और शिनचियांग के क्षेत्रों को मिलाकर “पूर्वी तुर्किस्तान” बनाना चाहता है।

कुछ उइगरों को अफगानिस्तान तथा पाकिस्तान में भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। सितंबर 2015 में कई उइगर अफगान शहर कुंदुज पर कब्जे के लिए तालिबान तथा इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज्बेकिस्तान में शामिल हो गए। उन्होंने थाईलैंड और मलेशिया में अपने अड्डे बना लिए हैं तथा इंडोनेशिया की ओर बढ़ रहे हैं। अगस्त 2015 में बैंकॉक के एरावन मंदिर में हुए विस्फोट के लिए वे ही जिम्मेदार थे।

चीन की सरकार चिंतित क्यों?

‘वन बेल्ट वन रोड’ (ओबीओआर) की सफलता के लिए आज शिनचियांग बहुत महत्वपूर्ण है, इसीलिए उइगर समस्या एक बार फिर अहम हो गई है। नेशनल डेवलपमेंट रिफॉर्म कमीशन ने अपने नीति दस्तावेज में शिनचियांग के ‘भौगोलिक लाभ तथा पश्चिम की ओर विस्तार की खिड़की के रूप में उसकी भूमिका’ को पहचाना है तथा उसे ओबीओआर की सफलता के लिए बहुत महत्वपूर्ण बताया है। वर्ष 2015 में शिनचियांग उइगर स्वायत्तशासी क्षेत्र की साठवीं वर्षगांठ थी। इसे मनाने के लिए उरुमची में शिनचियांग डेवलपमेंट फोरम, 2015 का आयोजन किया गया, जिसका शीर्षक था “सिल्क रोड आर्थिक पट्टी का निर्माण - शिनचियांग के विकास के अवसर एवं विकल्प।” इसका प्रायोजन स्टेट काउंसिल इन्फॉर्मेशन ऑफिस, पीआरसी, चाइजीज एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज तथा शिनचियांग उइगर स्वायत्तशासी क्षेत्र की जनवादी सरकार ने किया था।

अपने प्राकृतिक संसाधनों तथा बढ़ते सामरिक महत्व के कारण शिनचियांग का चीन के लिए बहुत महत्व है। यहां प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध हैं तथा यह मध्य एशिया के तेल एवं गैस भंडारों के पड़ोस में स्थित है। ओबीओआर ने शिनचियांग को चीन के पश्चिमी मुहाने का “मोर्चा” बना दिया है। इसके लिए सीमा पर 28 व्यापार बंदरगाह बनाए गए हैं। चीन और कजाकस्तान ने होरगोस में दोनों पक्षों की सीमाओ से लगता अंतरराष्ट्रीय व्यापार सहयोग केंद्र पहले ही खोल दिया है। बुनियादी ढांचे का विकास तेजी से हो रहा है; यात्रियों तथा सामान की आवाजाही के लिए कजाकस्तान, किर्गिजस्तान, ताजिकिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और मंगोलिया तक 86,000 किलोमीटर का सड़क नेटवर्क तथा 75 हाईवे तैयार कर दिए गए हैं।

10 मार्च, 2016 को एनपीसी के दौरान शिनचियांग उइगर स्वायत्तशासी क्षेत्र के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत में प्रधानमंत्री ली केचियांग ने कहा, “शिनचियांग के विकास एवं स्थिरता का संबंध राष्ट्रीय तथा जातीय एकता एवं राष्ट्रीय सुरक्षा से है।” शिनचियांग को ओबीओआर का केंद्रबिंदु मान लेने से शिनचियांग का आर्थिक विकास निश्चित रूप से तेज हुआ है, लेकिन इससे उइगरों की मूल समस्या का सामधान नहीं हुआ है।

शिनचियांग उइगर स्वायत्तशासी क्षेत्र की 60वीं वर्षगांठ मनाते हुए चीन ने श्वेत पत्र जारी किया। उसमें कहा गया है कि पिछले 60 साल में शिनचियांग को उसके विकास के लिए 1,700 अरब युआन दिए जा चुके हैं। किंतु इनमें से कुछ भी उइगर समस्या के समाधान के लिए पर्याप्त नहीं लगता। संभवतः यह एकमात्र समस्या है, जो ओबीओआर की सफलता को प्रभावित कर सकती है। देखना होगा कि चीन सरकार ओबीओआर से संबंधित नीतियों के क्रियान्वयन के साथ इस समस्या का समाधान कैसे करती है।


Translated by: Shiwanand Dwivedi (Original Article in English)
Published Date: 10th June 2016, Image Credit: Author
(Disclaimer: The views and opinions expressed in this article are those of the author and do not necessarily reflect the official policy or position of the Vivekananda International Foundation)

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