पार्लियामैंट की आचरण कमेटी-माल्या और राहुल गांधी के घोटाले
Prof R Vaidyanathan

मुझे पूरा विश्वास है कि देशवासी लोकसभा और उसकी मर्यादा को देखकर मुस्कुरा रहे होंगे। विश्वास कीजिए कि लोकसभा के दोनों सदनों की अपनी अपनी मर्यादा कमेटियां हैं और इनमें राज्यसभा की कमेटी दोनों में पुरानी है। सबसे पहले राज्यसभा ने 30 मई 1997 में एक मर्यादा कमेटी गठित की तथा उसे स्थायी कमेटी का रूप दिया और इसके बाद लोकसभा ने भी इसी प्रकार 2000 में एक मर्यादा पैनल बनाया जो पैनल के रूप में अगस्त 2015 तक कार्य कर रहा था और इसके बाद इसे राज्यसभा की तरह ही स्थायी मर्यादा कमेटी बना दिया गया है। लोकसभा की मर्यादा कमेटी में 15 सदस्य हैं तथा इसके अध्यक्ष लालकृष्ण आडवानी हैं और राज्यसभा की कमेटी में 10 सदस्य हैं और इसके अध्यक्ष डा0 करन सिंह। मुख्यतयाः मर्यादा कमेटी लोकसभा सदस्यों का आचरण तय करती है तथा सदस्यों के आचरण की निगरानी करने के साथ साथ इसके संज्ञान में आचरणहीनता की घटनाएं लाये जाने पर उनकी जांच करती है। राज्यसभा की कमेटी शिकायतों की जांच करने के साथ साथ स्वयं भी आचरणहीनता की घटनाओं का संज्ञान लेती है जबकि लोकसभा कमेटी केवल लोकसभा सदस्य या जनता के द्वारा की गयी शिकायतों का ही निपटारा करती है। राज्यसभा कमेटी ने सदस्यों के रोजगार संबंधी आचरण के लिए एक रजिस्टर बनाया है जिसमें सदस्यों को पांच अलग अलग क्रमों में दर्शाना होता है। इनमें मुख्य है वेतन सहित संचालक का पद, वेतन वाली और कोई गतिविधि, किसी कम्पनी के शयरों का आधे से ज्यादा भाग मैम्बर के पास होना, धन के लिए सलाहकार या पेशेवर व्यस्तता। इसके साथ साथ सदस्य को इस तथ्य की भी घोषणा करनी होती है कि सदन में चर्चित या राज्यसभा की किसी स्थायी कमेटी द्वारा विचारधीन किसी आर्थिक विषय में उसका कोई आर्थिक स्वार्थ नहीं है।

http://rajyasabha.nic.in/rsnew/committees/committ_ethics_rules.asp

यहां पर यह बात गौर करने वाली है कि राज्यसभा की रजिस्ट्री ना तो जनता के लिए खुली है और ना ही यह राज्यसभा के वेब पेज पर अंकित है। इसे केवल आरटीआइ प्रार्थना पत्र के द्वारा ही देखा जा सकता है।

इस संदर्भ में यह बात दिलचस्प है कि विजय माल्य एक उद्योगपति जो इस समय देश से भाग जाने का आरोपी है क्या उसने राज्यसभा की मर्यादा कमेटी उपरोक्त पांच क्रमों के अनुसार सूचना दी थी। यहां यह और भी आवश्यक हो जाता है क्योंकि माल्या राज्यसभा के कूटनैतिक पासपोर्ट के आधार पर ही अपने साथ सात-सात भारी सूटकेसों में अपनी दौलत लेकर जेट एयरवेज के प्रथम श्रेणी में यात्रा करके देश से भाग गया। यह पासपोर्ट उसे कानून निर्माता की हैसियत में प्राप्त हुआ था। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि राज्यसभा के कूटनैतिक पासपोर्ट के कारण उसका सामान विमान में यात्रा करने से पहले हवाई अड्डे पर खोलकर देखा ही ना गया हो।

लोकसभा इस प्रकार के आचरण का कोई रजिस्टर नहीं रखती। लोकसभा सदस्य को केवल अपनी सम्पत्ति तथा देनदारी की घोषणा करनी पड़ती है और इस प्रकार सदस्यों को अपनी और किसी आर्थिक गतिविधि की घोषणा नहीं करनी पड़ती जिसका चाहे उनके क्रिया कलापों से कोई लेना देना क्यों न हो। इससे यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि लोकसभा को अपने सदस्यों के आर्थिक लेनदेन या कम्पनी शेयरों से कोई वास्ता नहीं है।

इस विषय में इंग्लैण्ड शायद एक अच्छा उदाहरण साबित हो सकता है, वहां की पार्लियामैंट के सदस्यों के आचरण की एक निश्चित प्रक्रिया है। वहां पर आचरण कमेटी सदस्यों के आचरण का एक विस्तारपूर्वक लेखाजोखा रखने के लिए रजिस्टर रखती है और इस रजिस्टर में सदस्यों के आर्थिक तथा अन्य हितों का हिसाब किताब होता है जो उनके सदस्य के रूप में आचरण को प्रभावित करने की क्षमता रखता हो और इस रजिस्टर में 10 ब्यौरों में सूचना देनी पड़ती है और ये हैं रोजगार, आमदनी, कम्पनी शेयरों का हिसाब, जमीन और सम्पत्ति, और इसके अलावा उनके परिवार के सदस्यों का भी ब्यौरा जो उनके प्रचार में लगे हों। इनके यहां एक पार्लियामैंट आचरण आयुक्त होता है जिसका कार्य होता है सदस्यों की आचरण सम्बंधी शिकायतों का निपटारा करना। इसके साथ पार्लियामैंट की नैतिक आचरण कमेटी आयुक्त के कार्य की निगरानी के साथ साथ आयुक्त द्वारा भेजी गयी शिकायतों पर कार्यवाही भी करती है। इस कमेटी के द्वारा बीते समय में किये गये निर्णयों एवं वर्तमान में चल रही जांचों का पूरा ब्यौरा पारदर्शिता के लिए इनकी वेबसाइट पर उपलबध रहता है।

इसी प्रकार अमेरिका में जनप्रतिनिधि सभा यानि हाउस ऑफ रिप्रेजेन्टेटिव के सदस्यों को भी इंग्लैण्ड की तरह ही अपनी आर्थिक एवं रोजगार संबंधी जानकारी देने के साथ उनके ऊपर उपहार लेने का भी प्रतिबंध है। अमेरिकी सदस्यों को सरकारी धन तथा प्रचार संबंधी धन का अलग ब्यौरा रखना होता है और साथ में अतिरिक्त पार्लियामैंट आमदनी का भी हिसाब देना पड़ता है। सदस्यों के पारिवारिक सदस्यों के आर्थिक स्वार्थों का विस्तृत ब्यौरा भी दर्शाना जरूरी होता है। अमेरिकी सदस्यों से आशा की जाती है कि वे स्वयं नियंत्रित तथा मर्यादित आचरण का पालन करेंगे। इसके अलावा सदन का कांग्रेस आचरण कार्यालय तथा आचरण कमेटी भी सदस्यों के आचरण की निगरानी करते है। अमेरिकी सीनेट अर्थात् उच्च सदन इससे भी आगे जाकर सीनेटरों को हर प्रकार की व्यापारिक गतिविधियों में हिस्सा लेने से मना करता है तथा इस प्रकार के व्यापारिक संस्थानों के सलाहकार मंडल पर होने की भी इजाजत नहीं देता और सीनेट के इस आचरण को लागू करती है सीनेट आचरण कमेटी जो निष्पक्ष है और उसमें हर राजनैतिक दल के 3-3 सदस्य होते है।

https://factly.in/parliamentary-ethics-committee-india-lok-sabha-has-new-standing-committee-on-ethics-but-does-it-have-enough-teeth/

राज्यसभा की आचरण कमेटी की संहिता का खाका जिसे श्री एस0वी0 चव्हाण ने दिसम्बर 1998 में तैयार किया था और राज्यसभा के सब सदस्यों ने स्वीकृति दी थी वह संहिता इस प्रकार है।

  1. सदस्यों को ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिससे लोकसभा की बदनामी हो तथा इसकी मर्यादा प्रभावित हो। <.li>

  2. सदस्यों को अपने पद का इस्तेमाल देश की जनता की भलाई के लिए करना चाहिए।
  3. सदस्यों को अपने क्रिया कलापों में यदि कहीं अपने व्यक्तिगत स्वार्थ और जनता के विश्वास में टकराव लगे तो उन्हें इस स्थिति में जनता के विश्वास को सर्वोपरि मानकर उसे प्राथमिकता देनी चाहिए।
  4. सदस्यों को हर समय में ध्यान में रखना चाहिए कि उनका व्यक्तिगत या उनके निकट परिवारजनों का आर्थिक स्वार्थ देश की जनता के हित से कहीं टकराता हो तो उसे इस टकराव को इस प्रकार सुलझाना चाहिए कि जनता के हितों की हानि ना हो।
  5. सदस्यों को राज्यसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेते हुए किसी मुद्दे पर वोट या प्रश्न पूछने या किसी बिल को राज्यसभा में रखने के लिए किसी प्रकार की शुल्क लाभ या किसी भी प्रकार का प्रलोभन स्वीकार नहीं करना चाहिए और इसी प्रकार जानबूझकर सदन से बाहर रहना या प्रश्न ना पूछना इत्यादि।
  6. सदस्यों को कोई भी ऐसी भेंट स्वीकार नहीं करनी चाहिए जिससे उनके निष्पक्ष, ईमानदार तथा मर्यादित आचरण में किसी प्रकार की बाधा आती हैं वे अचानक मिली ऐसी भेंटों को स्वीकार कर सकते हों जो संकेतात्मक या औपचारिकता निभाने मात्र ही हो।
  7. सदस्यों को अपनी जन जिम्मेवारियों को इस प्रकार निभाना चाहिए कि इस देश की आम जनता की भलाई हो।
  8. सदस्यों को अपने सदन के कार्यो कलापों में हिस्सा लेते हुए यदि कोई ऐसी गुप्त सूचना लोकसभा के सदस्य होने के कारण प्राप्त हुई है तो उसे इस सूचना को अपने स्वार्थ के लिए प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  9. सदस्यों को ऐसे व्यक्तियों एवं संस्थाओं को किसी प्रकार के प्रमाण पत्र नहीं देने चाहिए जिनके बारे में उन्हें पूरी जानकारी ना हो।
  10. सदस्यों को किसी ऐसे मुद्दे पर अपनी सहायता या सहमति नहीं देनी चाहिए जिसकी उन्हें पूरी जानकारी ना हो।
  11. सदस्यों को मिली सुविधाओं या सामग्री का दुरूपयोग नहीं करना चाहिए।
  12. सदस्यों को हर समय अपनी मूलभूत मौलिक जिम्मेदारियां जिनका उल्लेख संविधान के भाग प्ट.। में किया गया है को हर समय सर्वोपरि समझना चाहिए।
  13. सदस्यों को किसी धर्म या सम्प्रदाय का अपमान नहीं करना चाहिए तथा सर्वधर्म सम्भाव की भावना से काम करना चाहिए।
  14. सदस्य को हर समय उच्च स्तर का नैतिक आचरण, मर्यादा और संस्कार को अपने क्रिया कलापों में अपनाना चाहिए।
  15. http://rajyasabha.nic.in/rsnew/publication_electronic/ethics_committee.pdf

    हालांकि राज्यसभा सदस्यों के आचरण संबंधी रजिस्टर रखती है परन्तु इस रजिस्टर में सदस्यों को केवल अपने व्यक्तिगत 5 प्रकार के तत्वों की ही सूचना देनी जरूरी है जो पूरे विश्व में मान्य 10 प्रकार के तथ्यों की होनी चाहिए और इसके साथ साथ राज्यसभा की रजिस्ट्री पारदर्शी भी नहीं है जिससे सदस्यों के क्रिया कलापों की सूचना जनता को नहीं मिल पाती है। इसी क्रम में लोकसभा व राज्यसभा दोनों में ही सदस्यों के आचरण संबंधी शिकायतों या जांच की कोई सूची या रजिस्टर नहीं होता। इससे प्रतीत होता है कि या तो शिकायतों के प्रबंधनन का इंतजाम ठीक नहीं है या सदस्यों के आचरण संबंधी शिकायतें होती ही नहीं है और ना ही इन सदनों की आचरण कमेटी ने किसी शिकायत का स्वयं संज्ञान लिया है। जबकि हर रोज इन सदनों के सदस्यों के व्यक्तिगत स्वार्थ और सदनों में विचाराधीन मुद्दों में टकराव देखी जा सकती है। इसके उदाहरण हैं कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य मनु सिंधवी डो कम्पनी के लिए वकालत करने अदालत में पेश हुए जबकि इस कम्पनी ने यूनियन कार्वइड कम्पनी को खरीदा था जिसके कारण भोपाल गैस कांड हुआ था और उसी समय यूपीए सरकार गैस कांड में पीडितों के लिए सहायता के बारे में विचार कर रही थी। इसी क्रम में लोकसभा सदस्य हेमामालिनी जल शुद्धिकरण मशीनों पर टैक्स छूट की मांग सदन में कर रही थी जबकि इस उद्योग में लगी कैन्ट आर0ओ0 कम्पनी के प्रचार में लगी है। इस प्रकार के अनेकों उदाहरण जहां सदस्यों के व्यक्तिगत स्वार्थों के सामने जनता का हित नीचे होते देखा गया। जैसाकि ऊपर देखा गया है लोकसभा शिकायतों का कोई रजिस्टर नहीं रखती। यहां पर जब भी आचरण कमेटी के पास कोई शिकायत आती है तभी उसका निपटारा किया जाता है। इस प्रकार बहुत से मुख्य मुद्दे, आचरण कमेटी जिसके अध्यक्ष लालकृष्ण आडवानी हैं के विचार और कार्यवाही का इंतजार कर रहे हैं।

    अभी कुछ दिन पहले यह आरोप लगा है कि राहुल गांधी इंग्लैण्ड के नागरिक बन गये हैं और उन्होंने वहां पर एक कम्पनी का सचिव पद ग्रहण कर लिया है। इस संबंध में दस्तावेज डा0 सुब्रामनियम स्वामी ने जनता के सामने सब दिये हैं। ये दस्तावेज लोकसभा की आचरण कमेटी के विचार के लिए भी प्रस्तुत कर दिये गये हैं सदन के सदस्य महेश गिरी ने।

    http://www.tribuneindia.com/news/nation/speaker-sends-swamy-plaint-on-rahul-citizenship-to-house-panel/180003.html

    ऐसा सुनने में आया है कि आचरण कमेटी ने इस मुद्दे पर राहुल गांधी को अपनी स्थिति साफ करने के लिए नोटिस भेजा है।

    http://economictimes.indiatimes.com/topic/news-politics-and-nation-citizenship-row-parliament-ethics-panel-sends-notice-to-rahul

    देशवासी इस गम्भीर शिकायत पर आचरण कमेटी की कार्यवाही और फैसले का इंतजार ही कर सकते हैं। यहां पर यह बात कही जा सकती है कि शुद्धिकरण के लिए पारदर्शिता सबसे ज्यादा कारगर साबित हो सकती है। इसलिए पार्लियामैंट के दोनों सदनों को सदस्यों के आचरण संबंधी शिकायत रजिस्टर बनाने चाहिए तथा इनकी सूचना तथा कार्यवाही आम जनता को नेट पर पारदर्शिता के साथ मिलनी चाहिए और सम्बंधित विषयों के विशेषज्ञों की राय निर्णायक पर पहुंचने के लिए ली जानी चाहिए।

    दुर्भाग्यपूर्ण है कि अब तक हमारे जनप्रतिनिधियों के प्रति यही राय है कि वे अपना स्वार्थ साधनों वाले तथा सरकारी खजाने को लूटने वाले ही हैं। 70 साल के प्रजातांत्रिक शासन के बाद हमें इस छवि को बदलने का प्रयास करना चाहिए।


    Translated by: कर्नल शिवदान सिंह
    Published Date: 12th April 2016, Image Source: http://www.businesstoday.in
    (Disclaimer: The views and opinions expressed in this article are those of the author and do not necessarily reflect the official policy or position of the Vivekananda International Foundation)

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